EXCLUSIVE: क्लर्क की करतूत, ट्रांसफर रुकवाने के लिए मां को बना दिया विकलांग

August 12, 2015 6:06 PM0 commentsViews: 315
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संजीव श्रीवास्तव 

Hospital-1

“जिला अस्पताल में 25 सालों से जमे जूनियर क्लर्क केके गुप्ता ने ट्रांसफर रुकवाने के लिए अपनी ही मां को विकलांग बना दिया। इस खुलासे ने जिला अस्पताल में हड़कंप मचा दिया है। इस फर्जीवाड़े की सूचना प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को दे दी गई है।”

जिला अस्पताल बनने के बाद से ही जूनियर क्लर्क के के गुप्ता यहां तैनात हैं। इस दौरान कई बार उनका तबादला किया गया, मगर हर बार वह अपना ट्रांसफर रुकवाने में कामयाब हो गया। जब इसकी वजह जानने के लिए भीमापार के देवेश मणि त्रिपाठी के आरटीआई लगाई, तब जाकर इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

आरटीआई के जवाब में पता चला कि केके गुप्ता अपनी मां का फर्जी विकलांकता प्रमाणपत्र दिखाकर ट्रांसफर रुकवा लेता था। केके गुप्ता वही जूनियर क्लर्क हैं जिन्हें साल 1997 में भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इस मामले में वह जेल भी जा चुका है।

अभी हाल में एक बार फिर केके गुप्ता का तबादला हुआ, मगर उसे आज तक रिलीव नहीं किया गया है। आरटीआई दाखिल करने वाले देवेश मणि त्रिपाठी ने सूचना मिलने के बाद बोर्ड द्वारा विकलांगता प्रमाण पत्र की जांच कराने की मांग की गयी। पहले तो चिकित्सालय प्रशासन ने हीला-हवाली की, मगर जिलाधिकारी के दखल के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और हडडी रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश मोहन गुप्ता, डॉ नितिन अग्रवाल और डॉ संजय गुप्ता की अगुवाई में एक टीम गाठित की गयी।

टीम ने केके गुप्ता की मां की अपंगता की जांच की तो आर्थराइटिस जैसी बीमारी पता चली जिसे विकलांगता की श्रेणी में नहीं माना जाता है। टीम ने के के गुप्ता की मां का विकलांगता प्रमाण पत्र निरस्त करने की सिफारिश करते हुए पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है।

इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ ओ पी सिंह का कहना है कि यह सही है कि केके गुप्ता का तबादला हो गया है, मगर जिला अस्पताल में सिर्फ एक बाबू है। उसे भी रिलीव कर दिया गया तो अस्पताल की व्यवस्था चरमरा जायेगी।

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