सैलाब नहीं जलप्रलय, फरिश्ता बन कर आये हैं सेना के जवान, हेलीकाप्टर से गिरा रहे खाने के पैकट

August 18, 2017 12:14 PM0 commentsViews: 2319
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–––राप्ती के बढ़ाव से खतरनाक हुए हालात, प्रशासन ने नहीं की पूर्व में कोई व्यवस्था, भूखे मर रहे बाढ़ से घिरे लोग

––– अब तक 50 हेक्टेयर फसलों को हुआ नुकसान, हजारों घर गिरे, सैलब बढ़ने के कारण दो गुनी हो सकती है क्षति

 

नजीर मलिक

इटवा तहसील के झकहियां गांव के पास सैलाब से टूटी सड़क

सिद्धार्थनगर। जिले में सैलाब इतना खतरनाक रूप ले चुका है कि अब उसे जल प्रलय कहना ही वाजिब होगा। प्रशासन के हाथ–पांव फूले हुए हैं। वायुसेना, एनडीआरएफ व पीएसी के जवान ही राहत बचाव में जुटे हैं, लेकिन उनकी तादाद कम होने से बचाव कार्य ज्यादा नहीं हो पा रहा है। इस दौरान पानी से घिरे गांवों की तादाद 700 सौ के पार पहुंच गई है।  सर्वत्र कोहराम मचा हुआ है। प्रशासन केसारे इंतजाम फेल साबित हुए हैं।

दरअसल जिले में राहत और बचाव की व्यवस्था नावों के अभाव में लुल्ल हो चुकी है। इस बार प्रशासन ने बाहर से एक भी नाव नहीं मंगाई है। एनडीआरएफ के जवान मोटरबोटों से पानी में डूब रहे लोगों को बचा रहे है। कल उन्होंने जोगिया क्षेत्र में बचाव किया। अब तक उन्होंने सौ से ज्यादा लोगों की जान बचाई है। उनकी संख्या और अधिक होती तो तो वह हालात का मुकाबला और बेहत करते। दूसरी तरफ वायुसेना के जवान दो हेलीकाप्टरों के जरिये पानी से घिरे गांवों में खाने के सामानों के पैकेट गिरा कर पीड़ितों को राहत देने का काम कर रहे हें। पीएसी की दो कंपनियां भी मोर्चें पर डंटी हुई हैं। लेकिन मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है।

राप्ती के बढ़ाव से बिगड़े हालत

जानकारी के मुताबिक राप्ती नदी खतरे के निशान से 70 सेमी ऊपर चली जाने से हालात बिगड़ कर काबू से बाहर हो चुके हैं। वर्ततान में 7 सौ से अधिक गांव पानी से घिरे या प्रभावित हैं। प्रशासन ने हालांकि इनकी तादाद 342 बताया है। लेकिन स्थिति वह नहीं है जो प्रशासन पेश कर रहा है। इसके अलावा 50 हजार हेक्टेयर फसलों को नुकसान हुआ है।यह नुकसान 4 सौ करोड़ का आंका जा रहा है। अभी पानी में ध्वस्त हुए मकानों कीतादाद का अनुमान नहीं हो पा रहा है।  अशंका है कि अब तकहजारों मकान गिरे होंगे। जिनसे एक करोड का नुकसान संभावित है। अभी जो हालात है उनसे आशंका है कियी नुकसान दो गुने को भी पार कर जायेगा।

अम्मा भूख लगी है

पानी से धिरे गांवों की हालत बहुत भयानक है। डूब रहे गांवों में राशन पानी खत्म हो जाने से अब चूल्हें बंद हो गये हैं। बडे़ तो किसी तरह दिन काट रहे हैं, मगर बच्चों की भूख उनकरे बिचलित कर रही है। सदर तहसील के केवटलिया, नटवा, बगहिया, लाऊ खाऊ, अजिगरा के जैसे तीन दर्जन गांवों में बच्चे अम्माऋ दादा सेभेजन के लिए फरियाद कर रहे हैं लेकिन मां बाप मजबूर हैं। इसी तरह शोहरतगढ़ के मटियार, भुतहवा,खैरी बैछौली मझवन जैसे गांवों में रोटी के लिए हाहाकार मचा है।

उग्रसेन सिंह, अतहर अलीम बोले

सपा नेता और प्रत्याशी रहे उग्रसेन सिंह कहते हैं कि नाव के अभाव में हम चाह कर भी पीड़तों की मदद नहीं कर पा रहे हैं। यह पहली बार है कि नाव के अभाव में सामान्य लोग पीड़ित गांवों को राशन पानी नहीं भेज पा रहे हैं। इसी प्रकार जिला पंचायत सदस्य अतहर अलीम का कहना है कि पहले सैलाब के संकट में नेता, व्यापारी, सम्पन्न किसान आदि सभी मिल कर बाढ़ पीड़ितों की यथ शक्ति मदद करते थे, लेकिन नावों की व्यवस्था न करके प्रशासन ने संकट में इजाफा पैदा कर दिया है।

 

 

 

 

 

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