अटल विहारी बाजपेयी दल नहीं दिलों में बसते थे- डॉ. चंद्रेश उपाध्यय

December 25, 2018 2:01 PM0 commentsViews: 393
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अजीत सिंह/निज़ाम अंसारी

सिद्धार्थनगर। 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल विहारी वाजपेयी जिन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री बने थे। जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए।

डा. चन्द्रेश उपाध्याय ने बताया कि स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे और भारत के 10 वें  प्रधानमंत्री के रूप में अपने को साबित किया और एक सदाबहार कविताओं से लोगों को सोचने पर मजबूर करते थे।

आज उनके जन्मदिन विशेषांक पर बेहतरीन कविताएं और आम लोगों और जन प्रतिनिधियों से बात चीत और उनके विचार को प्रसिद्ध नेता व समाजसेवी डॉ. चंद्रेश उपाध्यय ने कहा कि वह न सिर्फ प्रखर राजनेता और ओजस्‍वी वक्‍ता थे बल्‍कि कलम के जादूगर भी थे। उनके कबितओ का लोग आज भी अभिवादन करते हैं और उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

उन्‍होंने एक से बढ़कर एक कई कविताएं लिखीं। भारत रत्‍न अटल बिहारी वाजपेयी इन कविताओं का इस्‍तेमाल अपने भाषणों में भी खूब करते थे। जनता ने जितना प्‍यार और सम्‍मान उन्‍हें बतौर पीएम और नेता के रूप में दिया उतना ही सम्‍मान उनकी कविताओं को भी मिला। उनकी कविताएं महज चंद पंक्तियां नहीं बल्‍कि जीवन का नजरिया हैं, समाज के ताने-बाने के साथ आगे चलने की प्रेरणा हैं और घोर निराशा में भी आशा की किरणें भरने वाली हैं। उन्होंने अटल विहारी वाजपेयी की कविता भी सुनाई और उनके राजनीतिक जीवन की दशा और दिशा पर अपने विचार भी व्यक्त किया।

कौरव कौन कौन पांडव, टेढ़ा सवाल है दोनों ओर शकुनि
का फैला कूटजाल है
धर्मराज ने छोड़ी नहीं जुए की लत है हर पंचायत में पांचाली अपमानित है
बिना कृष्ण के आजमहाभारत होना है, कोई राजा बने, रंक को तो रोना है।

हियुवा के देवी पाटन मंडल अध्यक्ष शुभाष गुप्ता ने अपने विचारों को उनकी कविताओं के माध्यम से कुछ इस प्रकार व्यक्त किया।
कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा।
शुभाष गुप्ता ने कहा कि अटल विहारी वाजपेयी वादों नहीं इरादों के नेता थे आज समाज के लोगों की उनकी कविता पढ़नी चाहिए और उनसे नसीहत लेनी चाहिये उनकी कविताओं में जीवन जीने की सीख और भारत माता के वीर सपूतों की झलक मिलती है मेरा इस वीर पुरुष को शत शत नमन वंदन हैै।

डॉ. अंसारी हॉस्पिटल शोहरतगढ़ के मशहूर सर्जन डॉ. सरफराज अंसारी ने अटल विहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर कहा कि भले ही अटल जी आरएसएस के कार्यकर्ता नेता पथ प्रदर्शक थे पर वे हिन्दू मुस्लिम दोनों को साथ साथ लेकर चलने की बात करते थे। वे सिक्के के दूसरे पहलू थे सबको साथ जोड़कर देश को असीम ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते थे मैं उनकी कविताओं और भाषणों का दीवाना हूँ।

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