मुलाकातः आणविक खतरे के खिलाफ पिछले 33 सालों से अकेले आवाज उठा रहे प्रो. ली वांग

February 14, 2018 2:39 PM0 commentsViews: 449
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सगीर ए खाकसार

प्रो ली वांग के साथ पत्रकार सगीर ए खाकसार

“साउथ कोरिया के प्रोफ़ेसर डॉ ली वॉन्ग यंग परमाणु  प्रसार और न्यूक्लियर परमाणु संयंत्रों में हो रही दुर्घटनाओं से विचलित और व्यथित हैं।पिछले तैंतीस वर्षों में दुनिया के विभिन्न देशों के  परमाणु संयंत्रों में हुई दुर्घटनाओं ने उन्हें  झकझोर कर रख दिया है।उनका मानना है कि परमाणु हथियार हमारीं वर्तमान पीढ़ी के लिए खतरा है और परमाणु ऊर्जा  संयत्र और उनसे उतपन्न होने वाले परमाणु कचरे  हमारीं भावी पीढ़ी को तबाह कर देगा।प्रो. डॉ ली वॉन्ग यंग पूरी मानव सभ्यता को परमाणु हथियारों के खतरे से बचाने के लिए फिलवक्त दुनिया के 26 देशों की यात्रा पर हैं।उनके साथ में हैं जापान के सोशल एक्टिविस्ट सुनेनोरी हारा।साउथ कोरिया के सियोल से 03 मई 2017 से “न्यू सिल्क रोड फ़ॉर लाइफ एंड नो न्यूक्स ” नाम से शुरू अपने इस महाभियान में  वो दो वर्षों में कुल 11000 किमी की यात्रा करेंगें। गत दिवस भारत नेपाल सीमा पर काम रहे रहे हमारे वरिष्ठ पत्रकार साथी सगीर ए खाकासर ने उनसे वार्ता की। प्रस्ततु है उनकी बातचीत।“

चर्चा के दौरान प्रो ली वांग से यह.  पूछे जाने पर कि 03 मई से इस महाअभियान के शुरुआत की वजह क्या है?प्रो. ली कहते हैं  शांति के अग्रदूत महामानव गौतम बुद्ध की जयंती की वजह से यह दिन चुना गया है। आपको बताते चलें कि साउथ कोरिया में तथागत की जयंती इसी दिन मनाई जाती है जबकि नेपाल में 10 मई को बुद्ध का जन्मोत्सव मनाया जाता है।प्रो. ली साउथ कोरिया, जापान, ताइवान, हांगकांग, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, आदि देशों की यात्रा पूरी कर चुके हैं।

ईरान,अज़रबैजान,तुर्की, बुल्गारिया,स्लोवोकिया, जर्मनी आदि देशों की यात्रा के बाद उनकी यात्रा का आखिरी पड़ाव वेटिकन सिटी  स्टेट है, जो 21 अप्रैल 2019 को ईस्टर डे पर समाप्त होगा।इस दौरान वो इन तमाम देशों में सेमिनार और कांफ्रेंस करेंगे।लोगों से मुलाक़ात और बात करेंगे।इसके लिए उन्होंने अध्यापन कार्य से दो वर्ष का अवकाश भी लिया है।

प्रो. ली फिलवक्त इण्डिया, और नेपाल की  यात्रा पर हैं। भारत यात्रा के क्रम में उनकी योजना यहां के हिन्दू धर्म गुरुओं से मिलने की है। वो तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा से भी मुलाक़ात कर चुके हैं। धर्म गुरुओं से मिलने के सवाल पर प्रो0 ली का अपना तर्क है ।वो कहते हैं कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि सामुहिक प्रयास और अपने ज्ञान से धर्म गुरु शांतिपूर्ण समाज और एक खूबसूरत दुनिया की स्थापना में अपनी महती भूमिका निभा सकते हैं।वो दुनिया भर के विभिन्न धर्म गुरुओं से भी मिलेंगे उन्होंने कहा कि वो ईरान यात्रा के क्रम में वहां के इस्लामिक धर्म गुरुओं से भी मुलाकात करेंगे। जर्मनी में होली विटनेस प्रोटेस्टेंट लीडर से भी बतियाएंगे।

प्रो. ली कहते हैं परमाणु हथियार और  परमाणु ऊर्जा संयत्रों में होने वाली दुर्घटना पूरी मानव सभ्यता को तबाह व बर्बाद कर देगी।परमाणु हथियार अगर वर्तमान पीढ़ी के विनाश का कारण है तो परमाणु ऊर्जा  संयंत्र में होने वाली दुर्घटना और उनसे उतपन्न  परमाणु कचरे हमारीं भावी पीढ़ी ही नही  संसार के समस्त जीवों के लिए भी खतरा है।

वो कहते हैं कि हमें न्युक्लियर पावर की” मिथ” का त्याग करना होगा।मानव प्रयासों से ही इसे नियंत्रित किया जासकता है।प्रो. ली कहते हैं फिलवक्त पूरी दुनियां में करीब 450 न्युक्लियर पावर प्लांटस संचालित हैं।अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण की स्थापना 29 जुलाई 1957 को को एक स्वायत्त संस्था के रूप में की गई थी।जिसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण ढंग से उपयोग सुनिश्चित करना है।यह परमाणु ऊर्जा के सैन्य उपयोग को रोकने में प्रयास रत रहती है।लेकिन बावजूद इसके तीन बड़ी परमाणु दुर्घटनाएं हो गयी।यह अभिकरण भी इस खतरे को रोकने में नाकाफी साबित हुआ ।

 

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