लोटन में विरोधी पक्ष ने क्यों लगाये आबकारी मंत्री के समर्थन में नारे, भाजपा में अंतर्विेरोध तो नहीं?

September 7, 2017 7:04 PM0 commentsViews: 1104
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। लोटन ब्लाक की प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का गिरना भाजपा की एक और शिकस्त है। परन्तु इससे भी बड़ा अश्चर्य है श्रीमती सजलैन निशां के विजय जलूस में प्रदेश सरकार के आबकारी मंत्री राजकुमार जय प्रताप सिंह के समर्थन में जबरदस्त नारेबाज़ी।  कांग्रेस और सपा समर्थकों की इस लड़ाई को सियासी  हलकों में भाजपा की अंदरूनी लड़ाई की संज्ञा दी जा रही है।

कल लोटन ब्लाक परिसर में एसडीएम नौगढ़ ने अविश्वास प्रस्ताव को जैसे ही खारिज किया, वहां भाजपा खेमे में निराशा फैल गई। उसके बरअक्स प्रमुख का खेमा खुशी से झूम उठा। ब्लाक प्रमुख श्रीमती सजलैन के पति जमीर अहमद बड़कू के नेतृत्व में लोटन में जबरदस्त जुलूस निकला। जुलूस में मंत्री जयप्रताप सिंह के जबरदस्त नारे लग रहे थे।  यह देख पूरा कस्बा अवाक था। वह इस नारे का निहितार्थ तलाशने में जुटा हुआ था। आम चर्चा थी कि मंत्री जय प्रताप की बजह से ही प्रशासन चाक चौबंद और निष्पक्ष था।

सजलैन के खेमे भी जीत के बाद जो चर्चा थी, उसके मुताबिक मंत्री जयप्रताप सिंह ने प्रशासन पर ईमानदारी से काम करने का दबाव डाला था। उनका मानना था कि अगर किसी तरह का पक्षपात हुआ तो सरकार की छवि पा आंच आयेगी। यही कारण है कि अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक के दिन प्रमुख पति के चेहरे पर जहां निश्चिंतिता के भाव थे वहीं भाजपा के खेमे में सन्नाटा बिखरा था। आखिर बैठक के समय तक बैठक में भाजपा समर्थक एक भी बीडीसी नहीं आया और अंत में सजलैन प्रमुख पद पर बहाल रहीं।

मंत्री की दिलचस्पी का कारण?

दरअसल इस प्रकरण के पीछे भाजपा की अंदरूनी खींच तान बताने वालों की कमी नहीं है। बताया जाता है कि जिले के दो दिग्गज भाजपाई सांसद जगदम्बिका पाल और तंत्री जयप्रताप के बीच 36 का आंकड़ा है। लोटन के चुनाव में पाल का खेमा सदर विध्सायक राही के साथ मिल कर अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने में जुटा था। समझा जाता है कि तंत्री जय प्रताप सिंह ने इसी कारण प्रशासन पर निष्पक्ष चुनाव कराने का दबाव बनाया।

सदर विधायक की दूसरी हार

कपिलवस्तु विधानसभा क्षेत्र के अंदर दो ब्लाक प्रमुखों को हटाने के प्रयास में लगे सदर विधायक श्यामधनी राही को दोनों ही बार मुंह की खानी पड़ी है। इससे पूर्व वह उस्का ब्लाक प्रमुख प्रकरण में भी असफलता का मुह देख चुके हैं। उस बार भी उनके खेमें ने मतदान में भाग नहीं लिया था। नतीजे में पुराने प्रमुख ही बहाल रहे। जानकार इसे विधायक श्यामधनी राही की राजनीतिक अनुभवहीनता बता रहे हैं। वहां भी राही खेमें  का विरोध भी भाजपा के एक बड़े नेता ने किया था।

इससे पूर्व बढनी ब्लाक के अविश्वास प्रस्ताव में भी भाजपा मुंह की खा चुकी थी। लेकिन एसडीएम ने बैठक समाप्ति के बाद लाए गये एक बीडीसी का हस्ताक्षर करा कर किसी तरह भाजपा को जीत दिला दी थी। नहीं तो वहां भी भाजपा का सम्मान लगभग जा चुका था। डुमरियागंज की लडाई भी भाजपा के लिए बेहद कठिन दिख रही है। दाअसल यह सब भाजपा की अंदरूनी लड़ाई कर नतीजा है।

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