क्या है डुमरियागंज सांसद पाल के खिलाफ भाजपाइयों की उम्मीदवारी का राज

May 28, 2018 4:14 PM0 commentsViews: 2226
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नजीर मलिक

चुनाव होने में अभी एक साल बाकी हैं, मगर यूपी के सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज से बड़े कद के नेता और पूर्व कांग्रेसी व अब भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल के खिलाफ सियासी लामबंदी बढ़ती ही जा रही है। हालांकि वह एक मजबूत और जनाधार वाले नेता हैं, इसके बावजूद भी भाजपा से टिकट की दौड़ में शामिल होने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। सियासी गलियारों में यह सवाल काफी गूंज रहा है कि आखिर पाल के खिलाफ उनकी ही पार्टी के लोगों द्धारा ताल ठोंकने का अखिर राज क्या है।

 गोविंद माधव ने की पहली दावेदारी

भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल के खिलाफ टिकट की दावेदारी सबसे पहले भाजपा के क्षेत्रीय मंत्री गोविंद माधव ने की थी। गोविंद जिले के सबसे बडे़ नेता और कई बार मंत्री रहे रहे स्व. धनराज यादव के पुत्र हैं। उनकी छवि भाजपा में बेहद वफादर नेता की है। वह पिछड़ी जाति के भी हैं। यही कारण है कि देश की अपेक्षा इस क्षे़ में औसत से ज्यादा ओबीसी वोटर भाजपा के साथ हैं।

इसके बाद राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा चली कि संघ की तरफ से इटवा विधायक सतीश द्धिवेदी को तैयार किया जा रहा है। अभी यह चर्चा थमी भी नहीं थी कि डुमरियागंज के विधायक राघवेन्द्र सिंह का नाम भी योगी के करीबी होने के आधार पर गूंजने लगा।

अपना दल के हेमंत चौधरी ने भी की दावेदारी

हालांकि दोनों विधायकों ने इस बारे में कोई अधिकृत बयान नहीं दिया है, लेकिन दोनो ही विधायकों के करीबी इससे इंकार भी नहीं करते हैं। अभी हाल में भाजपा की सहयोगी अपना दल के युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत चौध्ररी ने भी इस सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा सार्वजनिक कर दी है। भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल का विधायक यहां यहां जीता हुआ है। इस कारण उसका पक्ष बेहद मजबूत माना जा रहा है। हेमंत एक अच्छे  युवा नेता के रूप में जाने जाते हैं।

राजा योगेन्द्र प्रताप सिंह भी हैं प्रबल दावेदार

इसके अलावा शोहरतगढ़ राजघराने के राजा योगेन्द्र प्रताप उर्फ बाबा साहब भी चर्चा में हैं। संघ में उनकी पकड़ है और वह टिकट दौड़ में डार्क साबित हो सकते हैं। उनकी नागपुर में अच्छी पकड़ है और वह भाजपा की राजपूत लाबी में बेहद प्रभावशाली हैं। उनका मानना है कि उन्हें टिकट मिल सकता है।उनके सम्पर्क सूत्र बेहद मजबूत हैं। इससे इंकार नही किया जा सकता है। राजा याहब शतरंज की बिसात पर बहुत खामोशी से अपनी चालें चल रहे हैं।

जगदम्बिका पाल का पलड़ा भारी है

जो लोग राजनीति को समझते हैं उनको पता है कि जगदम्बिका पाल का कद राजनीति में बहुत बडा है। उन पर कोई आरोप भी नही है। मतलब साफ है कि पाल के सेक्यूलर चऱित्र से भाजपा नही संघ को ऐतराज है। भाजपा से चुनाव लड़ कर भी जगदम्बिका पाल ने काफी मुस्लिम वोट हासिल किये हैं। उनको कट्टरपंथी ताकतें पसंद नहीं करतीं, इसलिए षडयंत्रों का दौर जारी है।लोग उनके पार्टी बदलने की भी हवा उड़ा रहे हैं।

जगदम्बिका पाल ने कहा..

दूसरी तरफ पाल ने इद सारी अटकलों को खारिज कर दिया। गत दिवस एक बातचीत में उन्हों ने साफ कहा कि अब वे उस मुकाम पर हैं, जहां पार्टी छोड़ना ठीक नहीं। कुछ उत्साही लोगों ने अफवाहें फैला रखी हैं, मगर वे भाजा से ही लड़ेंगे और जीतेंगे भी।  फिलहाल इस निरर्थक   टापिक पर कोई चर्चा लहीं। अगला चुनाव हम भाजपा से लडेगे और जीतेंगे भी।

 

 

 

  

 

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