सिद्धार्थनगरः सोशल मीडिया पर बाहरी उम्मीदवार के नाम पर मतभेद फैला रहे गठबंधन समर्थक

April 11, 2018 1:08 PM0 commentsViews: 1392
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नजीर मलिक

“बढ़ते फासीवाद के मुकाबले के लिए उत्तर प्रदेश में वर्षों की दुश्मनी भूल कर कई राजनैतिक दलों ने आपस में दिलों को जोड़ लिया, मगर उनके समर्थक अभी तक आपस में हाथ मिलाने को तैयार नहीं हैं। वे यहां सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज लोकसभा सीट से टिकट के लिए सोशल मीडिया में स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार का नारा उछाल कर गठबंधन की डोर को कमजोर करने में लगे हैं। अगर इस प्रकार की खेमेबाजी जारी रही तो इस सीट पर विपक्ष का उम्मीदवार कोई भी हो, एक बार फिर उन्हें शिकस्त खानी पड़ सकती है।”

गौरतलब है कि सोशल मीडिया में पिछले एक पखवारे से यह बहस चलाई जा रही है कि यहां से लोकसभा का उम्मीदवार स्थानीय होना चाहिए। समाजवादी के एक समर्थक द्धारा शुरू की गई  चर्चा अब बड़ी बहस का रूप लेती जा रही है। जानकार बताते हैं कि गठबंधन के नियमों के तहत यह सीट बसपा को मिलनी तय है, जिसके उम्मीदवर आफताब आलम घोषित हैं। दूसरी तरफ पीस पार्टी मान रही है कि यह सीट अन्ततः उनके पार्टी सुप्रीमों डा. अयूब को मिल सकती है। इसी को ध्यान में रख कर सपाई समर्थर्कों द्धारा यह नारा उछाला जा रहा है। इसमें पार्टियों के जिम्मेदार पदाधिकारी भी शामिल हो चुके हैं।

सोशल मीडिया के स्टेटस और उस पर चल रही बहसों के मुताबिक सपा के जिला उपाध्यक्ष अफसर रिजवी जैसे लोग भी “बाहरी भगाओ“ के नारे के पीछे दौड़ रहे हैं। जबकि वह जानते हैं कि सीटों पर समझौते में किसी का बाहरी होना कोई मुद्दा नहीं होगा। दरअसल इस नारे की वोट में बत चुनाव में तीसरे नम्बर पर रही समाजवादी के उम्मीदवार के लिए हवा बना कर टिकट की होड़ में शामिल कराना है। चूंकि कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार मुहम्मद मुकीम भी गत चुनाव में चौथे नम्बर पर रहे, इसलिए उनके समर्थक भी इस बहस में बाहरी उम्मीदवार के खिलाफ हैं।

लेकिन इस मुहिम के नुकसान अब दिखने लगे हैं। सपा समर्थर्कों के जवाब में बसपा और पीस पार्टी के समर्थक मुखर होकर जवाब देने पर उतर आये हैं। इससे दोनों खेमों में बहस तीखी होती जा रही है। उनमें में आपसी दूरियां भी बढ रही है। हालात यही रहे तो कल सपा के स्थानीय उम्मीदवार (संभावित नाम माता प्रसाद पांडेय) को टिकट मिला तो पीस पार्टी व बसपा समर्थक उनसे दिल से नहीं जुड़ पायेगे और यदि बसपा के आफताब आलम या पीस के डा. अयूब को टिकट मिला तो सपा समर्थक को उनके लिए मेहनत करने में दिलचस्पी नहीं होगी। बता दें कि बसपा और पीस पार्टी से दावेदार दोनो ही प्उ़ोसी जिले के हैं।

इस बारे में बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष शेखर आजाद का कहना है इस प्रकार की हवा फैलाने वाले गठबंधन ही नहीं अपनी पार्टियों के भी दुश्मन है। इस वक्त हमारा सबका लक्ष्य है भाजपा और फसीवादी ताकतों की शिकस्त। ऐसे में इस प्रकार का नया विवाद खड़ा कर लोग अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा का समर्थन ही कर रहे हैं। पत्रकार जीएच कादिर राजनीति से परे अपना विचार रखते हुए कहते हैं किसिंविधान के मुताबिक लोकतंत्र में भारत का कोई नागरिक कहीं से चुनाव लड़ सकता है। हमे स्थानीय या बाहरी के आधार पर नहीं पार्टी की विचारधारा और उम्मीदवार का गुण दोष देख कर फैसला करना चाहिए।

 

 

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