जिला पंचायत: पस्त हुई हाथी की मस्त चाल, खेत रहे बसपा मौजूदा और पूर्व अध्यक्ष जैसे महावत

November 3, 2015 4:54 PM0 commentsViews: 605
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नजीर मलिक

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पिछले जिला पंचायत चुनाव में बसपा के हाथी की चाल मस्त थी। बाद में उस्की चाल सुस्त हुई और ताजा चुनाव तक उसकी चाल पूरी तरह पस्त हो गई। एक एक कर उसके कई महावत भी खेत रहे। पूर्व सांसद मुकीम ही अकेले एक नेता रहे, जिन्होंने पार्टी का लाज रखी, वरना इस चुनाव में कार्यकर्ता कौन कहे बसपा के जिला अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष तक अपनी हस्ती मिटा बैठे।

सिद्धार्थनगर की 48 जिला पंचायत के वार्डों में बसपा ने तकरीबन 40 सीट सीटों बसपा ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन परिणाम सामने आया तो सभी चौंक गये। इस चुनाव में बसपा को सिर्फ चार सीटें ही मिल पाईं।

चुनाव के दौरान इटवा क्षेत्र से पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम अपने तीन समर्थर्काें डा. जुबैर, कमाल अहमद और परवेज अहमद को जिता कर लाने में सफल रहे। दूसरी तरफ डुमरियागंज की प्रभारी और एक अन्य दिग्गज नेता सैयदा मलिक अपने एक समर्थकपरवीन चांदनी को ही जिता पाईं। हालत यह रही कि उनके सगे चाचा मलिक अयूब उर्फ चिन्ने मलिक भी 18 नम्बर वार्ड से बुरी तरह हार गये।

बसपा में हार का अफसाना बहुत अफसोसनाक रहा। अयूब मलिक तो हारे ही, बसपा के जिलाध्यक्ष दिनेश गौतम इस बार खुद मैदान में थे, मगर वह भी बुरी तरह से नाकामयाब रहे। मतदाताओं ने उन्हें तीसरे स्थान पर धकेल दिया।

इसके अलावा पूर्व जिलाध्यक्ष पीआर आजाद ने बांसी क्षेत्र के 38 नम्बर वार्ड से अपनी पत्नी को लड़ाया था, मगर वह अपने जीवन साथी की रक्षा नहीं कर पाये और मंजू पासवान ने उन्हें करारी शिकस्त दी।

बसपा के एक अन्य बड़े नेता और जिला को-आार्डीनेटर राम मिलन भारती पांच नम्बर वार्ड से चुनाव मैदान में थे, मगर उनके नसीब में भी शिकस्त ही लिखी गई। उनको करारी हार मिली।

क्या रही बसपा के करारी हार की वजह? इस सवाल के जवाब तो कई हैं जैसे की बसपाई कहते हैं कि सपा की दबंगई ने उन्हें किनारे लगाया। मगर एक कार्यकर्ता का कहना है कि पार्टी के दलित नेताओं की आराम तलबी ने ही जिले में पार्टी का बंटाधार किया है।

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