आबकारी मंत्री जयप्रताप सिंह पर सत्ता शासन के बल पर अवैध कब्जा कराने का आरोप

January 21, 2019 5:31 PM0 commentsViews: 2238
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— ऐसा अन्याय? थानेदार से लेकर जिलेदार तक दस्तावेज देखने के बाद भी किसी ने नहीं सुनी हमारी फरियाद– अफरोज मलिक

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। जय हो फाउंडेशन महाराष्ट्र के अध्यक्ष और सिद्धार्थनगर जिले के ग्राम बिथरिया के मूलनिवासी  अफराज मलिक ने आज यहां प्रेस कान्फ्रेंस में यूपी के आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह की सत्यनिष्ठा पर गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि वह सत्ता शासन का बेजा फायदा उठा कर लोगों का उत्पीड़न कर रहे हैं। जिसके ताजा शिकार वह स्वयं हैं। उन्होंने यूपी यूपी के मुख्यमंत्री से मामले में हस्तक्षेप कर न्याय की मांग की है।

अफरोज मलिक, जो महाराष्ट्र के प्रमुख समाजसेवी एवं एक्टिविस्ट है, ने आज यहां लोक निर्माण विभाग के सिर्किट हाउस में पत्रकारों की भीड़ में आरोप लगाया कि डुमरियागंज तहसील अन्तर्गत उनके पुश्तैनी गांव में बिथरिया में गांटा संख्या 539 में मेरी व मेरे  परिवार और आबकारी मंत्री जय प्रताप के परिजन पशुपति प्रताप सिंह की आराजी थी थी, जिसका खाता संयुक्त  रूप से 539 था। बाद में  मंत्री परिवार की आराजी बेच दी गई। इस प्रकार उसके तीन हिस्सेदार हो गये। खाता संख्या 539 क मेरा व मेरे परिजनों का,  तथा 539 ख और 539 ग मोहम्मद उमर व गुलाम मुइनुद्दीन के नाम हुई।

उन्होंने दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा कि आम तौर से एक ही खाते के हिस्से दारों का बंटवारा  रोड साइड में सभी को दिया जाता है, मगर गत दिवस आबकारी मंत्री जयप्रताप सिंह जी के पुत्र दो अन्य अन्य खरीदारों जिनका हिस्सा लगभग पांच बीघा व एक बीघा है, उन्हें कई थानों की पुलिस व प्रशासन की मदद उन्हें आगे के हिस्से  का कब्जा प्रयास करने का आदेश दे दिया।

अफरोज मलिक ने कहा कि इसके बाद हमने सहायक अभिलेख अधिकारी मांझा फैजाबाद के यहां अपील दायर किया जिस पर हमें यथा स्थिति का आदेश भी मिल गया। मगर मंत्री जी के दबाव में प्रशासन और पुलिस विभाग मामले में हस्तक्षेप करने से कन्नी काट रहा है।

अफरोज मलिक ने कहा कि उन्होंने एक एक जिम्मेदार अफसर को अभिलेख और स्टे आर्डर के आदेश की कापी दिया, मगर कोई भी मदद करने को तैयार नही है। इसका कारण जय प्रताप सिंह का राजपरिवार और सत्ताधारी दल से सम्बंध होना है। उन्होंने कहा कि उनके इस कृत्य की जानकारी मुख्यमंत्री योगी जी को देकर न्याय की मांग की गई है।  इस बारे में आबकारी मंत्री के एक शोक प्रकरण में प्रदेश से बाहर रहने के कारण उनसे बात संभव नहीं हो सकी है।

 

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