मुसलमानों की तरक्की के लिए आधुनिक शिक्षा जरूरी, प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ें नौजवान

January 17, 2016 4:01 PM0 commentsViews: 297
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अनीस खां

कानफ्रेंस को सम्बोधित करते डा अब्दुल वहाब

कानफ्रेंस को सम्बोधित करते डा अब्दुल वहाब साहब

सिद्धार्थनगर। यहां से पांच किमी दूर मुस्लिम इंटर कालेज महदेइया में हुई अकलियत की एक कान्फ्रेंस में मुसलमानों की तरक्की के लिए दीनी तालीम के साथ साथ मार्डन एजूकेशन को जरूरी बताया गया है।

रविवार को कान्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए एआर खान चैरिटेबुल ट्रस्ट के ट्रस्टी डा एआर खान ने शिक्षा में मुसलमानों की स्थिति पर रौशनी डाली और आंकड़ों के हवाले से बताया कि इस फील्ड में उनकी पाेजिशन बहुत कमजोर है।

उन्होंने कहा कि मुसलमानों को आईएएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में होड़ करनी चाहिए। ऐसे छात्रों को उन्होंने ट्रस्ट से मदद देने की बात भी कही।

कान्फ्रेंस में डा अब्दुल वहाब ने कहा कि भारत सरकार ने यूपीएससी एसएससी और पीएससी की प्रारम्भिक परीक्षाओं में पास होने के बाद अकलियत के छात्रों को मदद देने क योजना बना रखी है। मुसलमान मेधावी छात्रों को इसका लाभ लेना चाहिए।

इस मौके पर डा एमएस अब्बासी और समाजसेवी मुमताज अहमद ने सुझाव दिया कि मुस्लिम छात्रों को छोटी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होना चाहिए। और मुस्लिम ट्रस्टियों को उनकी भी मदद करनी चाहिए।

कान्फ्रेंस की सदारत कर रहे मुस्लिम इंटर कालेज महदेइया के प्रबंधक नैयर कमाल साहब ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में मुस्लिम बच्चों की भगीदारी उम्मीद से कम है। ऐसे में उन्हें माली इमदाद देने के अलावा जागरूक किये जाने की जरूरत है।

कानफ्रेंस में अन्य वक्ताओं ने भी शिक्षा के क्षेत्र में मुस्लिमों के लगातार पिछड़ते जाने पर चिंता दिखाई और इसके लिए पूरे भारत में एक एक्शन प्लान की जरूरत पर भी जोर दिया।

कार्यक्रम में डा गयासुद्दीन, मौलाना मुहम्मद इब्राहीम मदनी, मुशी हमीदुल्ला खां, मो आसिफ, मास्टर शराफत, मंसूर अहमद व मोईनुद्दीन, ए आर आफाक, वजहुल कमर प्रधान, डा. अशफाक, मौलाना मतीउल्लाह सल्फी, मौलाना अतीकुर्रहमान, अब्दुर्रहीम खं इंजीनियर, डा जावेद कमाल आदि शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. शोयब ने किया। इस मौके पर अकलियत के लोग काफी तादाद में मौजूद रहे।

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