नसबंदीः सावधानǃ लोगों की जान से खेल रहा जिले का सेहत मोहकमा

December 2, 2015 6:09 PM0 commentsViews: 178
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संजीव श्रीवास्तव

ऐसे होती है सेहत मोहकमे में नसबंदी

फाइल फोटोः ऐसे होती है सेहत मोहकमे में नसबंदी

सिद्धार्थनगरः जिले का सेहत मोहकमा लोगों की जान के साथ खेल रहा है। वह नसबंदी के लिए एनेस्थेटिस्ट की सेवाएं नहीं लेता, बल्कि शल्य चिकित्सक के भरोसे ही नसबंदी को अंजाम दे दिया जाता है। विभाग की इस लापरवाही को लेकर सवाल खड़े हो रहें है। अगर कोई आपात स्थिति पैदा होती है, तो उससे विभाग कैसे निपटेगा।

मालूम हो कि सरकार ने नसबंदी कार्य के लिए जो टीम बनायी है, उसमें शल्य चिकित्सक के साथ एनेस्थेटिस्ट, नर्स, ओटी एवं लैब टेक्नीशियन, वार्ड व्याय या आया, स्वीपर शामिल हैं। जिन्हें इस कार्य के लिए तय रकम भी मिलती है, मगर सिद्धार्थनगर में जहां भी नसबंदी कैम्प लगते हैं, वह शल्य चिकित्सक के अलावा टीम में शामिल अन्य प्रमुख सदस्य नदारद रहते हैं।

स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही से जहां नसबंदी कराने आयी महिलाओं की जान राम भरोसे ही रहती है, वहीं शल्य चिकित्सक द्वारा टीम में शामिल अन्य सदस्यों को मिलने वाली राशि हजम कर ली जाती है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक सिद्धार्थनगर में चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 31 कैम्प लग चुके हैं। जिनमें 11908 लक्ष्य के सापेक्ष सिर्फ 114 महिलाओं की नसबंदी ही हो पायी है। पुरुष नसबंदी के मामले में पिछले तीन साल से विभाग का खाता तक नहीं खुल पाया है।

इस वर्ष जितने भी कैम्प का आयोजन हुआ है, उसमें स्वयं सीएमओ डा. अनीता सिंह के साथ डा. रुचस्पति पांडेय और डा. ए. सलाम की डयूटी लगी है। अब सवाल यहां यह भी है कि महिलाओं के जान के साथ होने वाले खिलवाड़ का जिम्मेदार कौन है ? आखिर सीएमओ साहिबा स्वयं भी नसबंदी कार्य को अंजाम देती हैं।
इस मसले पर सीएमओ डा. अनीता सिंह से मोबाइल पर सम्पर्क किया गया, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

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