नेपाल : मधेसी नागरिकों का पलायन शुरू, भारतीय सीमा में राहत शिविर लगा

September 22, 2015 5:52 PM0 commentsViews: 506
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नज़ीर मलिक

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‘नेपाली संविधान लागू होने के बाद भड़की हिंसा भयावह होती जा रही है। जान-माल की हिफाजत के लिए मधेसी समाज का पलायन शुरू हो गया है। भारत के सीमाई इलाकों में बनाए गए राहत शिविरों में इन्होंने पनाह ले रखी है। एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ सिद्धार्थनगर जिले में शरण लिए नेपाली नागरिकों की संख्या 10 हजार के करीब है जबकि पलायन का कुल आंकड़ा 50 हजार के पार जा चुका है’।

शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी जैसे सीमाई जिले मधेसियों की पनाहगाह बने हुए हैं। रविवार को भड़की हिंसा के बाद मधेसी समाज ने भारत में अपने रिश्तेदारों और जानकारों से संपर्क कर उनके घरों में डेरा डालना शुरू कर दिया। इनकी मदद के लिए सामाजिक और राजनीतिक संगठन ने राहत शिविर भी शुरू कर दिया है।

शरणार्थियों की सर्वाधिक तादाद बीरगंज के आस-पास वाले इलाकों में रिकॉर्ड की गई है। वहीं सिद्धार्थनगर जिले के बढ़नी, अलीगढ़वा, खुनुवा जैसे सरहदी इलाकों में पीड़ितों ने अपने रिश्तेदारों के घरों में डेरा जमा रखा है। जिनके पास कोई ठिकाना नहीं है, उनके लिए बढ़नी कस्बे में एक शरणार्थी शिविर भी लगाया गया है।

जरूरी सामान समेटने के बाद नेपाली नागरिक सोमवार की सुबह बढ़नी के डाक बंगले पहुंचे। यहां सभी शरणार्थियों को खाना खिलवाया गया। इसके बाद टेंट लगाकर सभी के लिए रहने का इंतजाम भी किया गया। संकट की इस घड़ी में नेपाली सांसद अभिषेक राय राहत शिविर आयोजकों को धन्यवाद दिया है। सांसद अभिषेक ने बताया कि बिहार की सीमा से लगे जिलों में लगभग बीस हजार शरणार्थी पनाह लिए हुए हैं। नीतीश कुमार की पार्टी उनकी मदद के लिए आगे आई है।

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नेपाल के सीमाई इलाकों में पलायन की प्रक्रिया रविवार की शाम उस वक्त शुरू हुई जब सरलाही जिले में पूर्व मंत्री रामेश्वर यादव के बेटे विक्रम यादव को गोली मारी गई। इस घटना के बाद अचानक हालात असामान्य होने लगे और अफवाहों का बाजार भी गर्म हो गया। फिलहाल मैदानी इलाकों में हालात काबू में है लेकिन पहाड़ी जिलों में बसे मधेसी जानमाल की हिफाज़त के लिए भागने लगे हैं।

दूसरी तरफ नेपाल के तराई इलाकों में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। आज कृष्णानगर, तौलिहवा, भैरहवा, तुलसीपुर, आदि इलाकों में मौन जुलूस निकाल कर नए संविधान का विरोध किया गया। कई हिस्सों में संविधान की प्रतियां भी जलाई गई हैं। नेपाल में फिलहाल तनाव चरम पर है। लोग बड़ी अनहोनी की आशंका से छाई हुई है।

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