चुनावः जिले की निगाहें टिकी हैं कादिराबाद पर, बहुत दिलचस्प है प्रधानी की जंग, सियासी टक्कर में रिश्तों की हार तय

November 24, 2015 1:31 PM0 commentsViews: 471
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नजीर मलिक

अान–बान के साथ नामांकन को जाते फुजैल मलिक

अान–बान के साथ नामांकन को जाते फुजैल मलिक

डुमरियागंज ब्लाक का कादिराबाद गांव अनजाना नहीं है। अपनी राजनैतिक पृष्ठभूमि की वजह से इसने काफी शोहरत हासिल कर रखी है। लिहाजा इस गांव के ग्राम प्रधान के चुनाव पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। लड़ाई बहुत दिलचस्प हो रही है।

कदिराबाद गांव में दो उम्मीदवारों में सीधी टक्कर है। फूजैल मलिक और रियाजुदृदीन मलिक एक दूसरे के सामने हैं। दोनों रिश्ते में एक दूसरे के अजीज हैं। इसलिए एक दूसरे के दांव पेचों से वाकिफ भी है।

फुजैल मलिक पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कमाल यूसुफ मलिक के घराने से हैं। तो रियाजुदृदीन भी उसी वंश के दूसरे खानदान से ताल्लुक रखते हैं। पिछले चुनाव में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी।

उस वक्त दोनों पक्षों ने अपने अपने प्रत्याशी उतारे थे। रियाजुदृदीन अपना प्रत्याशी जिता ले गये थे। इससे उनके कद में भारी इजाफा हो गया था। लेकिन पांच साल में हालात बदलते भी हैं।

गांव में 2700 वोटर है। हाल के बीडीसी चुनाव में फुजैल पक्ष को काफी बढ़त मिली है। वह अपने पक्ष के दलित प्रत्याशी का जिताने में कामयाब रहे है। गांव के दलित वर्ग में फुजैल का राजनीतिक आधार कम था। लेकिन प्रहलाद जैसे संजीदा दलित को जितवा कर उन्होंने उस वर्ग में अपना आधार बनाया है।
इसी तरह अंसारी वर्ग में भी उन्होंने बीडीसी सदय के रूप में एक अंसारी युवक को जिता कर अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है।

जहां तक रियाजुदृदीन मलिक का सवाल है, गांव के दलित और अंसारी वर्ग में उनकी पैठ थी और कमोबेश है भी। फुजैल के रणनीतिक दांव का मुकाबला वह अपने पुराने समर्थक वर्ग को बचा कर ही कर सकते है। इसके लिए उन्हें भरपूर प्रयास करना होगा।

जहां तक गांव के मलिक परिवार की बात है, फुजैल को इस वर्ग में बढ़त स्पष्ट नजर आ रही है। लेकिन रियाजुदृदीन मलिक के पास भी मलिक वंश की एक ताकतवर लाबी का समर्थन है। इसलिए फुजैल मलिक को भी अपने मलिक वर्ग के वोट को संभालने का काम लगातर करना होगा।

फिलहाल गांव में लगातर जोड़तोड़ जारी है। दोनों उम्मीदवारों की जाति एक है। घराना एक है। घरों की बुनियांदें एक हैं। इसलिए साफ बात तो यही है कि सियासी जीत किसी की भी हो, मगर रिश्तों की हार तो तय है, जिसे आगे के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता।

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