एस.एस.बी. व पुलिस की छापेमारी में लाखों रूपये के कपड़े सहित 2 युवक गिरफ्तार

March 27, 2019 6:08 PM0 commentsViews: 387
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निज़ाम अंसारी

शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। क्षेत्र के खुनुवा चौकी बार्डर पर भारतीय एजेन्सियों की निगाहे और सूचना तन्त्र इतना मजबूत है, जिससे आये दिन एसएसबी व पुलिस टीम को बड़ी कामयाबी मिल रही है। हाल ही के दिनों में एसएसबी ने भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा, पिकअप से लदा दाल, भारतीय मुद्रा को पकड़र कष्टम के हवाले किया था। इसी कामयाबी में बीते मंगलवार को एक और अध्याय जुड़ गया।

जानकारी के मुताबिक कैरियर के माध्यम से चोरी-छिपे भारत से कपड़ा, जूता, चप्पल, दवा आदि नेपाल को तस्करी होती थी, बात तब बिगड़ गयी जब एसएसबी को खास मुखिबिर द्वारा यह जानकारी मिली की सभी सामानों को एक स्थान पर डंप करके छोटे-छोटे कैरियर के रूप में नेपाल को पहुंचा दिया जाता है और आज भारी मात्रा में वस्तुएं नेपाल भेजने की तैयारी हो रही है।

जिसका संज्ञान लेकर 43 बटालियन के एसएसबी इन्सपेक्टर अमरलाल सोनकरिया ने टीमों को एलर्ट किया और पुलिस बल के सहयोग से माल डम्पिंग स्थान (गोदाम) पर धेराबन्दी की गयी।

जिसमें भारी मात्रा में कपड़े बरामद किये गये। साथ ही साथ इस दौरान दो व्यक्ति भी पुलिस की पकड़ में आये। पुलिस ने बताया कि हिरासत मे लिए गए तस्करों ने पूछताछ में अपना नाम पता सुनील कुमार गुप्ता पुत्र रमेश गुप्ता निवासी दलदलहा व राकेश यादव पुत्र दुलारे यादव निवासी बैदौली बताया।

एस.एस.बी. निरीक्षक अमर लाल सोनकरिया ने बताया कि कुल कपड़ो की कीमत 3 लाख 72 हजार 610 रूपये आंकी गयी है। जिसे कष्टम एक्ट के तहत कार्यवाही की गयी है। इस दौरान संयुक्त टीम मे थानाध्यक्ष अवधेश राज सिंह, चैकी इंचार्ज खुनुवां एसआई अवधेश कुमार सिंह, कांस्टेबल संतोष कुमार आदि मौजूद रहे।

बताते चलें कि एस एस बी के कार्यवाही में अब तक भारत से भेजे जाने वाले सामान्य दवाओं और नशे में प्रयोग करने वाले दवाओं पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है और न ही बीते एक वर्ष के भीतर कोई सीजर ही हुवा है जबकि औसतन हर महीने बाया शोहरतगढ़ हो कर नेपाल जाने वाली दवाएं करोडो रुपयें में होती है।

ऐसा भी नहीं है कि तस्करी को अभी छः महीने य एक साल से ही हो रहे हैं तस्करी कुछ की रोजी रोटी का तो व्यापारिओं के लिए तरक्की का जबरदस्त रास्ता भी है । पहले के मुकाबले में वर्तमान समय में एस एस बी की तरफ से जो गुड वर्क देखने को मिला है उससे पूर्व के अधिकारियों पर प्रश्नचिन्ह बनता जरूर है।

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