योगी सरकार चिल्लूपार के किसानों की मदद करने को तैयार नहीं

September 19, 2018 3:40 PM0 commentsViews: 266
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— सिंचाई मंत्री क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा को नष्ट करने पर उतारू हैं- विनय शंकर तिवारी

— तो क्या हम किसान पाकिस्तान जैसे शत्रु देश के नागरिक हैं?- आलोक तिवारी

अजीत सिंह

तरैना नाला, जिससे 50 हजार हैक्टेयर भमि सींची जा सकती है

गोरखपुर। खजनी से गोला के बीच बहने वाले 106 किलोमीटर लंबे तरैना नाले का इस्तेमाल सिंचाई के लिए नहीं किया सकता है। विधायक विनय शंकर तिवारी के सवाल पर सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि ऐसा करना महंगा होने के साथ लाभकारी नहीं है। तकनीकी वजहों का हवाला देते हुए उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार भविष्य में तरैना नाले को कृषि भूमि की सिंचाई के लिए इस्तेमाल में लेने पर कोई विचार नहीं करेगी।

बताते हैं कि दक्षिणांचल में कृषि योग्य भूमि की सिंचाई के लिए बारिश या निजी पंपसेट के भरोसे रहने वाले किसान लंबे समय से नहरों और नालों को समृद्ध करने की मांग कर रहे हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चिल्लूपार से बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी ने सिंचाई मंत्री से सदन में  इस पर सवाल पूछा था। उन्होंने जानना चाहा था कि प्रदेश में ऐसे कितने नाले हैं, जो पूर्व में सिंचाई के उपयोग में लाए जाते थे, जिसमें सिल्ट जमा होने के कारण अब वह प्रभावी नहीं रह गए हैं।

विधायक के इस सवाल पर सिंचाई मंत्री ने बताया कि नालों का निर्माण एवं उपयोग प्रमुख रूप से जलोत्सारण के लिए किया जाता है। सामान्य तौर पर नालों से सिंचाई कार्य नहीं किया जाता है। विधायक विनय शंकर तिवारी ने दूसरे सवाल में पूछा था कि ‘क्या सरकार गोला तहसील के तरैना नाला को गहराकर सिंचाई के लिए नहर के रूप में प्रयोग में लाने पर विचार करेगी’ जिस पर सिंचाई मंत्री की तरह से स्पष्ट तौर पर नहीं में जवाब दे दिया गया।

तकनीकी वजहों से यह संभव नहीं-  सिंचाई मंत्री

सिंचाई मंत्री ने बताया कि खजनी से निकलकर गोला के बैरिया गांव में राप्ती से मिलने वाले तरैना नाले का शीर्ष डिस्चार्ज 2000 क्यूसेक, जबकि कैचमेंट एरिया 42 हजार हेक्टेयर है। 2000 क्यूसेक शीर्ष क्षमता के नाले से जलोत्सारण हेतु आवश्यक डिजाइन से अधिक गहरा या बड़ा क्रास सेक्शन तकनीकी रूप से आवश्यक, उपयोगी और सार्थक नहीं होगा। सामान्यतया ड्रेनेज लाइन भौगोलिक क्षेत्र में निम्नतम स्तर पर होती है, इसलिए नाले के आसपास की भूमि नाले के जलस्तर से ऊंचे स्तर पर होती है। ऐसे में नाले से केवल लिफ्ट डालकर ही पानी लिया जा सकता है जो लाभकारी नहीं है।

जनता को गुमराह कर रहे हैं सिंचााई मंत्री- विधायक

पूरी दुनिया जहां प्राकृतिक संपदा को बचाने के लिए प्रयासरत है, वहीं सिंचाई मंत्री इसका दोहन करने पर उतारू हैं। तरैना नाला को सिंचाई के लिए महंगा बताकर वह किसानों को गुमराह कर रहे हैं। तरैना नाले की खुदाई कर अगर इसे गहरा कर दिया गया तो बारिश के दिनों में आसपास के इलाके डूबने से बच जाएंगे। नाले में पानी भरा रहेगा तो किसान पंपसेट से खेतों की सिंचाई कर लेंगे। इससे शुद्ध पीने योग्य भूगर्भ जल तो सुरक्षित रहेगा ही साथ ही वाटर लेवल भी बना रहेगा। सिंचाई मंत्री ने जो तर्क दिया है वह समझ से परे है।

ऐसा तो शत्रु देश के साथ नहीं होता, हम तो यहां के किसान हैं- आलोक

बता दें कि अगर तरैना नाला का नहरीकरण कर दिया जो इस क्षेत्र  के 50 हजार एक्टेर कृषि भूमि को पंपसेट के सहारे सिंचाई की सुविधा मिल सकती है। लेकिन सरकार इसे लाभकारी नहीं मानती। क्षेत्र के प्रगतिशील किसान आलोक तिवारी कहते हैं कि मंत्री जी के जवाब से लगता है जैसे हम लोग किसी शत्रु देश के वासी हों। किसानों ने सरकार से विधायक की योजना को स्वीकृत करने की सरकार से मांग की है।

 

 

 

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