वाह रे बेशर्म प्रशासनः ठंड से मर गया गया गरीब सत्यदेव, चंदे से हुआ अंतिम संस्कार

January 3, 2018 1:02 PM0 commentsViews: 882
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नजीर मलिक

 सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ कस्बे का गरीब सत्यदेव सोमवार की रात ठंड से  मर गया। उसके मरने के बाद प्रशासन की नींद टूटी। उसके लिए घोषणाएं कीं, लेकिन सत्य देव के  किया कर्म के लिए घर में पैसे नहीं थे। प्रशायन की कोई मदद नहीं मिली, सो लोगों ने मदद कर उसकी चिता की व्यवस्था कराई। 45 साल का सत्य देव अपने मां बाप का इकलौता सहारा था।

आज उसके बूढे पिता श्याम सुदर आंखों में एक दर्द लिए कहते हैं कि जब उसकी दुनियां सो गई तो जिम्मेदारों के जागने का क्या मतलब रह गया है। अब कौन उनकी बुढ़ापे की लाठी बनेगा? प्रशासन तो घोषणाएं करके जा चुका है। गौर तलब है कि सत्यदेव की मौत पर विधायक अमर सिंह चौधरी मृतक के बूढ़े मा बाप को कम्बल तथा पचीस सौ रूपये, हियुवाके देवी पाटन मंडल प्रभारी सुभाष गुप्ता ने पांच हजार रूपये तहसीलदार संतोष कुमार ओझा ने पांच सौ रूपये, थानाध्यक्ष शमशेर बहादुर  सिंह ने ग्यारह सौ रूपये तब जाकर उसके अंतिम संस्कार की रस्म पूरी हो सकी।

शाेहरतगढ़ कस्बे में   अस्पताल के करीब रहने वाले श्याम सुदर का बेटा था सत्यदेव। गरीबी से  निरंतर जंग और माता पिता की परवरिश की झंझटों ने उसे 45 साल की उम्र तक शादी करने की मोहलत ही नहीं दी। वह एक टूटी साइकिल पर ग्रामीण होजरी का कुछ सामान गांवों में घूम कर बेचता था, तब शाम को घर का चूल्हा जलता था। गरीबी इतनी कि पूरा परिवार प्लास्टिक की पन्नी वाले छाजन की झोपड़ी में रहता था। सत्यदेव की मौत के समय घर में उसकी चिता की लकडियों तक के पैसे नही थे।

सोमवार की रात अचानक उसकी ठंड से मौत हो गई।  उसके बूढ़े मां बाप पर तो जैसे कहर ही टूट पडा। बात प्रशासन के कानों में पहूंची तो मंगलवार को पूरा लाव लश्कर मौके पर पहुंचा। एसडीएम ने उसके परिवार को मकान व अन्य सरकारी सुविधायें देने की घोषणा की, मगर क्या हो सकता था। जाने वाला तो चला ही गया।

उसके पिता श्याम सुंदर कहते हैं कि वह प्रशासन के सामने कई बार रोये, गिड़ड़िाये मगर उन्हें न लाल राशन कार्ड मिला न सरकारी आवास। उन्होंने कहा कि अभी तो प्रशासन ने वादा किया है। उनका वादा पूरी होगा भी या नहीं, यह बाद की बात है।

सवाल यह है कि सत्तर साल के  पति पत्नी का बुढ़ापा कैसे कटेगा? उससे बड़ा सवाल है कि सरकारी अमला घटना होने के बाद ही क्यों जागता है। अगर वह ऐसी घटनाओं का पहले ही संज्ञान ले ले तो फिर ऐसी दर्दनाक हालत किसी के क्यों हो, क्या शासन प्रशासन इस पर भी विचार करेगा।

 

 

 

 

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