exclusive- नेपाली पीएम भट्टराई की नकल है मोदी के “मन की बात” और केजरी का “आड-इवेन” एक्सपेरिमेंट

April 20, 2016 4:35 PM0 commentsViews: 357
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नजीर मलिक

dilkibaat

सिद्धार्थनगर। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “मान की बात” और दिल्ली के सीएम केजरीवाल का “आड-इवेन” का प्रयोग भारत में भले ही चर्चा का विषय हो, लेकिन इसके जनक वास्तव में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भटराई है। इन दोनों प्रयोगों को नेपाल में उन्होंने ही आजमाया था।

वामपंथी नेता बाबूराम भट्राई राजशाही के खातमे के बाद वर्ष 2009 में नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। वामपंथ को लेकर नेपाल का उच्च वर्ग आशंकित था। उनकी आशंका दूर करने में कामरेड प्रचंड विफल थे। लेकिन 35वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेते ही भटराई ने नेपाल रेडियो पर “मेरो मन कूरा” यानी मेरे मन की बात कार्यक्रम शुरू किया। इसके बाद उनका कार्यक्रम तमाम मुद्दों पर प्रसारित होने लगा।

पीएम मोदी और भटराई के मन की बात में एक ही अंतर है। मोदी जहां रेडियो पर केवल अपनी बात कहते हैं, वहीं भटराई अपनी बात कहने के साथ फोन पर आये प्रश्नों का जवाब भी देते थे। नेपाल के पूर्व माओवादी कमल थापा के अनुसार सवालों के जवाब देने की वजह से भटराई जी का प्रोग्राम मोदी जी के प्रोग्राम से अधिक प्रोगेसिव और विश्वसनीय था।

“जोड़-बेजोड़” की नकल है आड-इवेन

नेपालियों की मानें तो पीएम मोदी ही नहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ट्रैफिक का आड-इवेन प्रयोग भी नेपाल की नकल है। नेपाल की पत्रकार सुनीता घिमरे कहती हैं कि नेपाल में 2010 में तेल संकट हो गया था। वाहनों का चलना कठिन हो गया था। ऐसे में भटराई जी ने “जोड़-बेजोड़” अर्थात (आड-इवेन) ,एक दिन जूस और एक दिन तक नम्बरों वाले वाहनों को चलाने की प्रणाली का सफल प्रयोग कर नेपाल को संकट से उबारा था।

पिछले साल मधेशियों की नाकेबंदी की वजह से जब नेपाल में दुबारा तेल संकट गहराया तो तो पुनः वही प्रयोग किया गया जो कामयाब रहा। सुनीता घिमरे की मानें तो नेपाल ने यह प्रयोग तेल संकट के चलते किया था, जबकि केजरीवाल जी ने इसे प्रदूषण से जोड़ा है। लेकिन सच यही है कि आड-इवेन नम्बरों के वाहन को चलाने की रणनीति केजरीवाल जी ने नेपाल से ही ली है।

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