जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए मीना मिश्र की दावेदारी से चौंकी भाजपा, सियासी हलचलें तेज

May 9, 2021 1:14 PM0 commentsViews: 3500
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भाजपा से पहले उपेंद्र सिंह की पत्नी शीतल सिंह व  पूर्व विधायक जिप्पी तिवारी की भाभी क्षमा तिवारी थीं  अध्यक्ष पद की दावेदार

 

नजीर मलिक

जयंती प्रसाद मिश्र तथा उनकी नवनिर्वाचित बहू मीना मिश्र

सिद्धार्थनगर। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए होने जा रहे चुनाव में भाजपा समर्थित सदस्य मीना देवी मिश्र की दावेदारी भी सामने आ रही है। अचानक निकल कर आई इस दावेदारी से भाजपा के अन्य दावेदार खेमें चौंक गये है तथा पार्टी के अंदर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गईं हैं।। आम तौर से माना जा रहा था कि इस बार भाजपा में अध्यक्ष पद के लिए पार्टी पत्याशी बड़ी आसानी से तय हो जाएगा, लेकिन जिस तरह भाजपा में  जिले के एक सम्मानित समर्थक घराने की ओर से चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है उससे लोगों का चौंकना स्वाभाविक है।  तो आइये जानते हैं कि जनसामान्य के बीच मीना देवी नाम का अंजान चेहरा कौन है, जिसे जानकार हलकों में बेहद गंभरता से लिया जा रहा है।

 

कौन हैं मीना देवी मिश्र

मीना देवी बांसी क्षेत्र के एक ऐसे राजनीतिक घराने से सम्बंध रखती हैं, वह घराना जो एक दो वर्ष से नहीं जनसंघ की स्थापना काल से पार्टी व संघ परिवार से जुड़ा रहा है, लेकिन इस परिवार ने कभी पार्टी से कोई पाने की लालसा नहीं की। उल्टे पार्टी के लिए सदा त्याग ही करता रहा। इस घराने से पहली बार कोई चुनाव में उतरा है, पारिवारिक सूत्रों के अनुसार इस बार परिजन जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए संकल्पित हैं। इसके लिए राजीतिक सूत्रों से सम्पर्क साधना भी शुरू कर दिया गया है।

नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य मीना देवी बांसी क्षेत्र के पुराने समाजसेवी जयंती प्रसाद मिश्र की बहू हैं। जयंती मिश्र जी पिछले 6 दशक से भाजपा (पूर्व की जनसंघ) के साथ हैं और किशोरावस्था से ही राष्ट्रीय सेवक संघ से जुड़े रहे हैं।  वह बांसी के विधायक व स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह के करीबियों में माने जाते हैं। वह निरंतर आठ बार नेउसा के प्रधन भी रह चुके हैं। मीना देवी मिश्र इन्हीं की बहू हैं जो इस बार जिला पंचायत सदस्य चुनी गई हैं।

साफ छवि व बेहद प्रभावशानी हैं जयंती मिश्र

साफ सुथरी छवि वाले जयंती प्रसाद मिश्र का पार्टी व संगठन में बेहद प्रभाव है। वह भाजपा के प्रथम प्रदेश अध्यक्ष स्वर्गीय माधव प्रसाद त्रिपाठी व तत्कालीन खाद्यमंत्री हरीश चंद्र श्रीवास्तव जी के साथियों में शुमार किये जाते हैं। वर्तमान में वह स्वास्थ्यमत्री जय प्रताप सिंह के काफी करीब हैं तथा सांसद जगदंबिका पाल के चुनाव में विशेष भूमिका निभाते रहे हैं। उनके पिता स्वर्गीय पारसनाथ नाथ मिश्र भी अपनी न्यायप्रियता के लिए समाज में बहुत प्रसिद्ध थे। कठिन से कठिन समस्याओं का निपटारा पंचायतों के माध्यम से इन्होंने किया । उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कभी पद की लालसा नहीं की। यही कारण है कि पार्टी के सभी वर्ग में उन्हें सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त है।

बृजेश मणि ने टिकट के लिए संभाली कमान

जयंत्री प्रसाद मिश्र के भतीजे बृजेश मणि मिश्र गोरखनाथ मंदिर स्थित श्री गोरखनाथ संस्कृत विद्यापीठ पीजी कॉलेज में अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष हैं तथा भाजपा गोरखपुर के जिला उपाध्यक्ष भी है। वह भी गोरखनाथ मंदिर के काफी करीबी माने जाते हैं। जाहिर है कि मंदिर का समर्थन एक बड़ी ताकत सिद्ध हो सकती है। इस चुनाव के लिए बृजेश मणि ही टिकट के लिए लाबीइंग की कमान संभाले हुए हैं। ऐसेी हालत में परिजनों को उम्मीद है कि उनके परिवार से पहली बार किसी ने चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की है, इसलिए पार्टी इस पर गौर जरूर करेगी।

जटिल हुए हालात शीतल, क्षमा व मीना में कौन?

जयंती मिश्र परिवार से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव लड़ने की दावेदारी के बाद भाजपा के अंदरूनी हालात जटिल हो गये हैं। इस चुनाव परिणा में कई भाजपाई दिग्गजो के परिजनों की हार तथा खुद भाजचा नेता साधना चौधरी की हार के बाद समझा जा रहा था कि भाजपा के पूर्व विधायक जिप्पी तिवारी की भाभी श्रीमती क्षमा तिवारी व भाजपा के उपेन्द्र सिंह की पत्नी श्रीमती शील सिंह के बीच दावेदारी को लेकर रस्साकशी होगी और अन्ततः शीतल सिंह पार्टी की उम्मीदवार बनेंगी। उनके बारे में आम भापाइयों की राय थी कि शीतल सिंह के पति उपेन्द्र सिंह न केवल सााधन और संसाधन में सबसे आगे हैं वरन जातीय समीकरण भी पूरी तरह उनके पक्ष में हैं। वह जिताऊ उम्मीदवार भी हैं। परन्तु मीना मिश्र की दावेदारी पार्टी में फैसला लेने में कठिनाई पैदा कर सकती है।

भाजपा के सूत्र बताते हैं कि खुद भाजपा के वरिष्ठ नेता व प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री जयप्रताप सिंह भी जयंती बाबू के परिवार का विरोध नहीं करना चाहेंगे। उन्य पुराने और खांटी भाजाई भी जयंती मिश्र के समर्थन में खड़े रह सकते हैं। लेकिन सभी को पता है कि इस पद की उम्मीदवारी के अंतिम फैसला जिला से नहीं प्रदेश से होता है। ऐसे में यह देखने की बात होगी की प्रदेश नेतृत्व का फैसला क्या होता है, फिलहाल जयंती मिश्र के पु़त्र बृजेश मणि लखनऊ को साधने के लिए गोरखनाथ मंदिर से सम्पर्क कर भाग दौड़ में लगे हुए हैं।

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