Exclusine़- अटल ने बलरामपुर से शुरू किया था चुनावी सफर, बुजुर्गों को याद है आज भी उनकी मिठास

August 17, 2018 1:56 PM0 commentsViews: 544
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वरिष्ठ पत्रकार सगीर ए खाकसार की कलम से

बलरामपुर। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे। बुधवार को उनकी तबीयत ज़्यादा बिगड़ गयी थी ।बृहस्पतिवार की शाम 5 बजकर 05 मिनट पर उन्होंने  आखिरी सांस ली।उनके निधन  की खबर ज्यूँ ही यूपी के बलरामपुर पहुंची, जिले में शोक की लहर दौड़ गयी।बलरामपुर जिला कई मामले में बेहद महत्वपूर्ण है।साहित्यिक और राजनैतिक दोनों रुप से बहुत ही उर्वरशील है।अली सरदार जाफरी, बेकल उत्साही सरीखे आलमी शोहरत याफ्ता शायरों की यह जन्म भूमि है, तो वहीं दूसरी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की सियासी कर्म भूमि के रूप में पूरे हिंदुस्तान में अपनी अलग पहचान रखती है। अटल जी पहली बार बलरामपुर से ही लोकसभा में जनसंघ के टिकट पर पहुंचे थे।

पहली बार चुने गये बलरामपुर से

भारत नेपाल की सीमा से सटे जिला बलरामपुर से पूर्व प्रधान मंत्री अटल विहारी बाजपेयी का गहरा रिश्ता था।देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में पहली बार 1957 में वो बलरामपुर लोकसभा सीट से ही चुने गए थे।यह आज़ादी के बाद दूसरा लोकसभा का चुनाव था।जनसंघ ने उन्हें तीन स्थानों लखनऊ, मथुरा,और बलरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया था। वो लखनऊ हारे और मथुरा से जमानत जब्त हो गयी। लेकिन बलरामपुर की जनता ने उन्हें यहां से जिता कर लोकसभा में पहुंचा दिया था।

62 के चुनाव में दो वोटों से हारे, मगर 67 में फिर जीते

आप को बता दें कि 1952 में जनसंघ को सिर्फ चार सीट मिली थी जिसमें एक सीट बलरामपुर की थी।बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र में करीब वो डेढ़ दशक तक सक्रिय रहे। 1957 में पहली बार उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी हैदर अली को पराजित किया। अटल जी की लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए 1962 में सुभद्रा जोशी को अटल जी के खिलाफ मैदान में उतारा।इस बार संघर्ष बड़े कांटे का रहा।कड़े मुकाबले में जोशी जी महज 200 मतों से अटल जी को हराने में कामयाब हो पायीं। हालांकि 1967 के चुनाव में अटल जी ने यह सीट सुभद्रा जोशी से छीन कर फिर अपने झोली में डाल ली।

अटल जे घोड़े पर बैठ कर किया था चुनाव प्रचार

अटल जी करीब 15 वर्षों तक बलरामपुर की सियासत में सक्रिय रहे।वो यहां के लोगों में रच बस गए थे।वह दौर राजनीति में सादगी और नैतिकता का था।संसाधन इतने ज़्यादा नहीं थे।राजनीति में न तो बाहुबली लोग थे और न ही चुनाव ही ज़्यादा महंगा था।अटल जी जीप से चुनाव प्रचार करते थे।कार्यकर्ताओं के घर ही रात में भोजन और विश्राम करते थे।बारिश के मौसम में उन्हें बैल गाड़ी और घोड़े का भी सहारा लेना पड़ता था।यही नहीं यहां के बड़े बुजुर्गों का कहना है कि अटल जी ने बलरामपुर जिले के गौरा चौराहा,रेहरा,और उतरौला में मूसलाधार बारिश होने पर घोड़े से जनसभा स्थल पहुंच कर जन सभा को संबोधित किया था।

अटल जी को जनसंघ ने चुनाव में प्रचार प्रसार के लिए एक जीप मुहैया कराई थी।उसी जीप से अटल जी प्रचार करते थे ।कभी कभी धक्के भी लगाने पड़ते थे।अटल जी के समय के ज़्यादातर लोग अब नहीं रहे।लेकिन कुछ लोग अब भी जिंदा हैं।यहां के बड़े बुजुर्गों में उस वक्त की स्मृतियां अभी भी शेष हैं।

बेहद सादा इंसान थे वो

साहित्यिक और सामाजिक संस्था बलरामपुर के अध्यक्ष आज़ाद सिंह अटल जी को याद करते हुए कहते हैं कि 1957 में अटल जी रेल से चुनाव लड़ने बलरामपुर आये थे।उन्हें तत्कालीन जनसंघ के महामंत्री राम दुलारे स्टेशन पर लेने गए थे।वो अटल जी को पहचान नहीं पाए और वापस आने लगे तो पीछे से अटल जी ने राम दुलारे जी को आवाज़ लगाई कि मैं हूँ अटल! श्री सिंह कहते है कि वो लोग सादा लो इंसान थे।तब राजनीति सेवा का जरिया थ।

तुलसीपुर विधानसभा सभा क्षेत्र से संघ के विधायक रहे सुखदेव प्रसाद उनके पुराने साथियों में से हैं ।वो अब भी जीवित हैं और बस स्टैंड के पास रहते हैं।वो दो बार संघ के विधायक रहे हैं।यहां के बड़े बुज़ुर्ग बताते हैं कि संघ के एक समर्पित कार्यकर्ता प्रताप नारायण तिवारी  ने अटल जी को चुनाव में प्रचार में जीप मुहैया कराई थी। मुकुल चंद्र अटल जी के चुनाव प्रबंधन की ज़िम्मेदारी निभाते थे।जनसभाएं आयोजित करना और उनके पक्ष में भाषण देने का काम करते थे।

बलराम पुर अब श्रावस्ती सीट से जानी जाती है

उनके अहम सहयोगियों में लातबक्श सिंह, दुली चंद्र जैन,बैजनाथ सिंह,सत्येंद्र गुप्ता , कैलाश जी, आदि थे।जो अटल जी को पूरा सहयोग देते थे।विडंबना यह है कि अब बलरामपुर लोकसभा का नाम भी बदल दिया गया है।जहाँ से देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी कभी चुनाव लड़ा करते थे।अब इसे श्रावस्ती लोकसभा के नाम से जाना जाता है। हालांकि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की कर्म भूमि बलरामपुर को उनकी जन्मभूमि ग्वालियर से जोड़ने के उद्देश्य से  बलरामपुर से एक ट्रेन सुशासन एक्सप्रेस का संचालन किया जा रहा है।

मुंशियाइन की मीठी दही  व पेडा बहुत पसंद था अटल को

अटल जी खाने पीने के बेहद शौकीन लोगों में से थे ।ये बात तो सभी लोग जानते हैं।बलरामपुर से भी उनके खाने पीने की शौक की आदतें गहरी जुड़ी हुई हैं।बलरामपुर की मीठी दही और पेड़ा किसी ज़माने में बहुत मशहूर हुआ करता था।मुंशियाईन के “पेड़े” और “मीठी  दही”के अटल जी बहुत बड़े मुरीद थे।अब न तो अटल जी हमारे बीच रहे और न ही मुंशियाईन ही ज़िंदा हैं।लेकिन अटल जी हम सबकी स्मृतियों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे, और मुंशियाईन के पेड़े की “मिठास”यहां के बुजुगों की याद में आज भी मौजूद है।

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