कयासबाजीः कहीं इटवा थाने की गायब ए.के. 47 तो नहीं, जिससे विकास दुबे ने ली थी आठ पुलिसकर्मियों की जान?
आरिफ मकसूद
सिद्धार्थनगर : कानपूर में एक सप्ताह पूर्व विकास दुबे गैंग ने पुलिस टीम पर एके 47 से हमला कर 8 पुलिसकर्मियों को शहीद कर दिया था। इस हमले में एके 47 जैसे घातक हथियार का उपयोग किया गया था। लोग बाग इस बात की चर्चा शिद्दत से कर रहे हैं कि कहीं वह गत दो फरवरी 2019 को जिला सिद्धार्थनगर के इटवा थाने से गायब हुई एके 47 तो नहीं । इस हमले में एके 47 अभी बरामद नहीं हुई है, जबकि घटना के मास्टर माइंड विकास दुबे गुरुवार सुबह उज्जैन से गिरफ्तार हाने के बाद मुठभेड़ में मारा भी जा चुका है। लेकिन विकास दुबे के पास एके 47 कहां से और कैसे आयी, अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है। एके 47 एक ऐसी राइफल होती है जो केवल पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के पास ही होती हैं।
बताते चले कि 2 जुलाई को कानपुर के बिकरू गांव में रात के समय दबिश देने गई पुलिस पर अपराधी विकास दुबे और उसके गुर्गों ने एके 47 जैसी खतरनाक हथियारों से हमला कर 8 खाकीधारियों की जान ले ली थी। घटना के बाद जाँच में जुटी टीमों को मौके से एके 47 असॉल्ट राइफल के खोखे मिले थे । खोखे मिलने पर यह माना गया कि जिन हथियारों से पुलिस टीम पर गोलियां बरसाई गईं, उनमें एके 47 भी थी ।
लोग कर रहे चर्चा , कहीं इटवा की गायब एके 47 तो नहीं
विकास दुबे द्वारा एके 47 का उपयोग कर पुलिस कर्मियों की जान लेने की बात जब सामने आई तो यह आशंका जताई जाने लगी कि इटवा थाने से गायब हुई एके 47 कहीं विकास दुबे के यहां नहीं पहुंच गई थी ? दुनियां की सबसे खतरनाक रायफल जो अर्धसैनिक बल और पुलिस महकमे में विशेष ट्रेंड पुलिसकर्मियों को ही दी जाती है। ऐसी खतरनाक असॉल्ट राइफल विकास दुबे तक कैसे पहुंची, लोगों में यह जानने की जिज्ञासा है ।
इटवा थाने की गायब एके 47 का किया है मामला
बतातें चलें कि इटवा थाने से पिछले वर्ष 3 जनवरी को निरीक्षण के दौरान एके 47 रायफल गायब मिली थी। इसके बाद वहां के थानाध्यक्ष समेंत पाच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था । लेकिन अभी तक इस घटना का खुलासा नहीं हो पाया है । रायफल ढूढ़ने के लिए पुलिस की कई टीमें लगाई गई थी पर रायफल का पता नही लग पाया था ।