अलाउद्दीन खिलजी ने जिगिना धाम मंदिर को दिया था 84 गांवों की जागीर, मेला आज से शुरु
––– ऐतिहासिक है प्राचीन जिगिना धाम मंदिर, जहां अगहन मास के शुक्ल पक्ष को लगता है विशाल मेला
––– ८४ गांव की जागीर मंदिर को देने के दस्तावेज आज भी मंडल मुख्यालय के रिकार्ड रुम में पत्रावली चार में सुरक्षित हैं
एम. आरिफ
इटवा, सिद्धार्थनगर। तहसील मुख्यालय इटवा से लगभग से तेरह किमी. दूर उत्तरी छोर पर स्थित जिगिना धाम का प्राचीन मंदिर कई सभ्यता एवं संस्कृतियों का इतिहास समेटे हुए है। जिगिना धाम मंदिर को ८४ गांवों की जागीर सुल्तान अलाउ्दीन खिलजी ने दी थी। इसके दस्तावेज आज भी सुरक्षित हैं। रानी पद्मावती प्रकरण से अलाउद्दीन की क्रूरता का जम कर बखान किया जा रहा है, लेकिन दस्तावेज इसके उलट खिलजी को बड़े दिलवाला सुल्तान साबित करते हैं। जिगिना धाम का मेला आज से शुरु हो रहा है।
जिगिना धाम में लक्ष्मीनारायण चर्तुभुजी भगवान का एक प्राचीन मंदिर है। जिस पर प्रत्येक वर्ष अगहन मास के शुक्ल पक्ष तिथि पंचमी को राम विवाह के अवसर पर विशाल मेला लगता है। मेले में विभिन्न क्षेत्र के श्रद्धालुओं का अपार जन समूह उमडता है। दंत कथाओं के अनुसार इस मंदिर को वशिष्ठ जी ने भारद्वाज ऋषि को दे दिया था। जिसका बाद में नाम बदलकर जिगिना धाम हो गया। अब यहां प्रतिवर्ष बड़े मेले का आयोजन होता है।
मंदिर के महन्थ बाबा विजय दास के मुताबिक तेरहवीं सदी में बादशाह अलाउद्दीन के शासन काल में यहां के महन्थ बाबा विष्णु दत्त थे। कहते हैं कि बाबा विष्णु दत्त से भगवान लक्ष्मी नारायण की मूर्ति बातचीत भी करती थी। इस बात की भनक जब बादशाह अलाउद्दीन को लगी तो वह अपनी सेना के साथ मंहन्थ और मूर्ति की वार्तालाप सुनने के लिये जिगिना धाम चला आया। यहां आकर वह मंदिर की अलौकिक शक्ति से प्रभावित हुआ।
मंदिर के वर्तमान महंथ के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी ने इस मंदिर के संचालन के लिए 84 बीघा की बाउड्री व चौरासी गांव देने के अलावा प्रत्येक वर्ष 365 स्वर्णमुद्रा मंदिर को देने का आदेश लिख दिया। जिसका रिकार्ड बस्ती मंडल के रिकार्ड रूम में पत्रावली संख्या चार में आज भी मौजूद है। इस ऐतिहासिक दस्तावेज से यह साबित होता है कि वास्तव में अलाउद्दीन का स्वाभव आतताई का नहीं था, जैसा कि कहानियों व पद्मावत में दर्शाया गया है।
बदलते जमाने में मंदिर के पास मात्र एक बाग और कुछ जमीनें शेष बची हैं। बीते लगभग 3 बर्ष पूर्व यहां तालाब की खुदाई में एक बेशकीमती अष्टधातु मी मूर्ति भी मिली थी जो आज भी मंदिर में सुरिक्षत है लोग उस मूर्ति के दर्शन को भी जाते है। इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिये साशन स्तर से भी कोई कारगर पहल नहीं हो पा रही है।
जिगना धाम मेले का शुभारम्भ 22 नवंबर से
विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भागवान चतुर्भुजी नारायण के प्राचीन मंदिर जिगना धाम मे मेले का आयेाजन बड़े धूमधम 22 नवंबर से सुरू होकर एक सप्ताह तक अनवरत चलता रहेगा। इस मेले में नामी गिरामी एवं हास्य कलाकार रंपत हरामी एवं रानी बाला का बजरंग नाट्य परिषद पूर्वांचल बिहार, एवं भारत के प्रसिद्ध जादूगर का धमाल दिखाने अमर जादूगर एवं सोनी मारुती सर्कस, मौत का कुंआ मुजफर नगर से चल कर आ गया है। इस मेले में कानपुर, लखनऊ रायबरेली व अन्य शहरों से नामचीन दुकानें इस मेले में आ चुकी है। मेले का अौपचारिक शुभारंभ आज शाम को होगा। है
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