बुढ़ापे का का दर्दः आंखों से नहीं दिखता और झोपड़ी पुरानी है, हर गरीब लाचार की एक ही कहानी है
— पक्के घर, पिकअप व ट्रैक्टर स्वामी बने आवास के मालिक और गरीब लाचार सूनी आंखों से ढूंढ रहा मददगार
शिव श्रीवास्तव
महराजगंज। कोल्हुई क्षेत्र के गांव बेलवा बुजुर्ग में प्रधानमंत्री आवास योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी हुई है। जहां गांवों कस्बों में रह रहे अंधे, लंगड़े, गरीब और फूस की झोपड़ियों में रहने वाले लाचार का नाम सूची से गायब रहता है वहीं पिकअप वाहन, ट्रैक्टर ट्राली, दो दो मकानों के मालिक तक विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से सरकारी आवास के पात्र बन जाते हैं। इसकी ताजा मिसाल हैं महाजगंज जिले के गोरख प्रसाद जो अंधे होने और फूस की झोपड़ी में रहने के बावजूद आवास के लिए पा नहीं बन पा रहे हैं।
विगत दस सालों से पूरी अंधेपन झेल रहे गोरख प्रसाद दरखास्त लिए एक सहायक के साथ विकास खंड और तहसील दिवस का चक्कर लगा रहे हैं। जबकि इनके पास पूर्वजों का बनवाया 70 वर्ष से ऊपर का जीर्ण शीर्ण आवास है। जिनमें वह अपने परिवार के जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। उन्होंने इसके खिलाफ मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। मगर वह भी बेमतलब साबित हुई है।
गोरख प्रसाद ने रो रो कर बताया कि सरकारी मंशा को कर्मचारी और अधिकारी मिलकर धरातल पर नहीं आने दे रहे हैं । पहले सूची में हमारा नाम था। लेकिन पंचायत चुनाव को देखते हुए प्रधान और सचिव ने सूची में हेर फेर कर दिया है। इसी तरह गांव के दर्जनों लोगों ने विकास खंड मुख्यालय लक्ष्मीपुर जाकर अपना विरोध जताया लेकिन कोई कार्रवाई और जांच नहीं हुई। उल्टे ग्राम पंचायत अधिकारी बेलवा बुजुर्ग रामपाल यादव ने कहा कि जो होना था हो गया।अब कुछ नहीं होगा।
इस संबंध में प्रभारी खंड विकास अधिकारी लक्ष्मीपुर सुधीर कुमार पाण्डेय ने बताया कि गोरख प्रसाद के मामले में खुद जांच करेंगे और सूची में हेर फेर करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की संस्तुति की जायेगी।