अंकुश हत्याकांड की फाइल फिर से खुलेगी, 12 लाख के कथित रिश्वत मामले ने तूल पकड़ा
यदि अंकुश प्रेम प्रसंग में मारा गया तो वह लड़की कौन थी, उसका अभियुक्तों से क्या रिश्ता था?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले के इटवा थाने के बहुचर्चित प्रकरण ‘अंकुश यादव’ के मर्डर की बंद करदी गई फाइल अब नये सिरे से दुबारा खुलेगी। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक राम अभिलाष त्रिपाठी ने सोमवार को जांच का आदेश दे दिया है। नई जांच अब थानाध्यक्ष मोहाना जय प्रकाश दुबे करेंगे। इस हत्याकांड में मृत बालक के पिता बाल केसर यादव ने एस ओ इटवा पर जांच में लीपा पोती करने और 12 लाख रुपया रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने यह कदम उठाया है।
क्या है हत्याकांड की कहानी
जानकारी के अनुसार इटवा थाने के जोल्हाबारी गांव के मृतक 16 वर्षीय छात्र अंकुश यादव की हत्या 27 सितम्बर को हुई थी। 28 सितम्बर को उसकी लाश मिली थी। इस संदर्भ में पुलिस ने तीन युवकों पवन, रंजीत और शनि को हिरासत में लिया था। परन्तु गिरफ्तारी केवल शनि व रंजीत की ही की गई थी और पवन को छोड़ दिया गया था। अंकुश के पिता बालकेसर यादव के अनुसार तीनों ने अपना जुर्म कबूल भी किया था।
आखिर पुलिस लड़की का नाम क्यों छिपा रही
मृतक के पिता बाल केसर को ठोस दलील के बिना पर इस केस में लीपापोती किये जाने का शक है। इस बारे में बालकेसर के शक की तीन मुख्य वजहें हैं। सबसे मुख्य है, हत्या का कारण का संदिग्ध होना। इटवा पुलिस का मानना है कि अंकुश यादव की मौत प्रेम प्रसंग में हुई, लेकिन लड़की कौन थी और कहां की थी, इसके बारे में पूछने पर पुलिस का कहना है कि नाम बताने से लड़की की बदनामी होगी।
अंकुश के पिता की दलीलें बहुत ठोस हैं
जबकि अंकुश के पिता का कहना है कि उसे यह जानने का अधिकार है कि वह लड़की कौन थी, जिसके कारण उनके मासूम बेटे का कत्ल हुआ, जबकि उसकी उम्र बहुत कम थी तथा वह ऐसे चरित्र का भी नहीं था। वह कहते हैं कि उनके बेटे की हत्या फिरौती लेने के चक्कर में हुई। ऐसे में पुलिस को लड़की का नाम सार्वजानिक रूप से नहीं तो पिता होने के नाते कम से कम उन्हें तो बताना चाहिए।
क्या है 12 लाख रुपये का मामला
इस मामले में बालकेसर का आरोप है कि मुख्य आरोपी को 12 लाख रुपये रिश्वत लेकर छोड़ा है। बाल केसर के मुताबिक इसके लिए आरोपी के पिता ने क्षेत्र में लोगों से लाखों रुपये कर्ज लिए हैं, जबकि आरोपी के पिता या उनके परिवार ने कोई ऐसा काम नहीं किया जिसमें 12 लाख का खर्च आता हो। फिर उन्होंने कर्ज क्यों लिया? उनके अनुसार यह मामला पुलिस को रिश्वत में खर्च किए गये।
बता दें कि बाल केसर की इन दलीलों को पुलिस ने मानने के बजाए हमेशा उसे अपमानित कर भगा दिया। लेकिन वह भागता और लोगों से अपनी दलीलें देता रहा। अंत में प्रकृृति को उस पर दया आयी और पुलिस अधीक्षक ने नये सिरे से जांच का आदेश दे दिया। अब देखना है कि सच किस रूप में और क्या सामने आता है ?