अंकुश यादव मर्डर मिस्ट्री- आखिर एक कथित लड़की के लिए खुद को बदनाम क्यों कर रही इटवा पुलिस
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। सोलह साल के छात्र अंकुश यादव की हत्या के मामले में रहस्यमय मोड़ आ गया है। जिले के इटवा थाने के ग्राम जोल्हाबारी गांव के निवासी बालकेसर यादव का पुत्र था। यह मोड़ अंकुश यादव के प्रमुख आरोपी को पुलिस द्वारा छोड़ देने के बाद आया है। एक हत्यारोपी को रहस्यमय तरीके से छोड़ देने से इटवा पुलिस पर सवालिया निशान लगने लगे हैं। मृतक अंकुश यादव के पिता तो साफ आरोप लगाते हैं कि इस मामले को रफा दफा करने के लिए 12 लाख रुपये का लेन देन हुआ और पुलिस एक लड़की की काल्पनिक कहानी बनाकर प्रकरण को रफा दफा कर रही है। वह मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराने के लिए भाग दौड़ कर रहे हैं।
क्या है पूरा प्रकरण
एक महीने पहले 27 सितम्बर को अंकुश की हत्या हुई तथा 28 को उसकी लाश मिली थी। इसके तीन दिन बाद पवन चौधरी, शनि तथा रंजीत नामक युवकों को पुलिस ने उठाया था। बताते है कि तीनों ने अपना अपराध कबूलते हुए फिरौती को हत्या का मूल कारण बताया था। मगर पुलिस ने इसे प्रेम प्रसंग माना था। पुलिस के इसी कथन के आधार पर ‘प्रेम प्रसंग में युवक की हत्या’ जैसी बात सभी प्रमुख समाचारप़त्रों में प्रकाशित हुई थी। फिर पता चला कि शनि व रंजीत इसी आरोप में जेल भेज दिये गये, मगर पवन को पुलिस ने छोड़ दिया। बताया जाता है कि उसे कहीं न जाने के लिए जमानत देनी पड़ी। यह जमानत किस आधार पर ली गई इसका ब्यौरा किसी के पास नहीं है।
मर्डर केस का दूसरा पहलू भी है
अब आते हैं दूसरे पहलू पर। स्वयं मृतक अंकुश के पिता बालकेसर ने भी हत्याकांड में न तो पवन चौधरी का नाम लिया न ही उसे संदिग्ध बताया। अंकुश के पिता सिर्फ यह सिर्फ जानना चाहते थे कि उसके पुत्र का किससे प्रेम प्रसंग था, ताकि वह निजी तौर पर संतुष्ट हो सकें।। लेकिन पुलिस बता नहीं रही। आखिर एक पिता के सोलह साल के बेटे का कत्ल हुआ है तो उसे संतुष्ट होना ही है, फिर भी पुलिस लड़की का नाम पता क्यों छिपा रही है। इससे पुलिस की भूमिका पर सवाल होना लाजिम है।
पुलिस के अनुसार किसी लड़की की इज्जत बचाने केलिए वह नाम नहीं बता रही है। परन्तु पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं कि मामला हत्या का है और संविधान ऐसे मामलों में सब कुछ सामने रखने की इजाजत भी देता है। मगर पुलिस यहां साधू का आचरण दिखा रही है, जबकि वह अक्सर शैतानी कामों के लिए जानी जाती है। बात बात पर महिलाओं का अपमान करने वाली पुलिस का या संवेदनशील चेहरा समझ से परे है।
12 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप
इसी बीच अंकुश यादव के पिता ने आरोप लगाया कि पवन चौधरी के पिता ने लोगों से 12 लाख रुपये उधार लिए। उनका आरोप है कि रुपया पुलिस को देने के लिए लिया गया है। अब तो इटवा थाने की पुलिस के लिए उस प्रेम संबंध को प्रेम प्रसंग का खुलासा करना और भी जरूरी हो जाता है। इसके खुलासे से अंकुश के परिवार को संतुष्टि मिलेगी, इसके अलावा पवन चौधरी पर से हत्या का संदेह भी दूर होगा। और सबसे बड़ी बात है कि इससे पुलिस पर 12 लाख घूस लेने का आरोप भी स्वतः समाप्त हो जायेगा। लेकिन इटवा पुलिस लगातार एक लड़की के मान सम्मान को ढाल बना कर खुद अपने ऊपर संदेह का दायरा क्यों बढ़ाती जा रही है, यह एक बड़ा सवाल है?
सबसे अहम सवाल
इस बारे में अंकुश यादव के पिता बाल केसर यादव कहते है कि यदि पुलिस को लड़की के इज्जत की इतनी ही चिंता है तो वह बात को सार्वजनिक न कर सिर्फ हमको नाम पता बता दे। आखिर मेरे बेटे की हत्या हुई है, तो क्या हमारी संवेदना पुलिस की नजर में गौड़ है? आखिर लड़की की आड़ लेकर खुद की बदनामी कराने का काम वह क्यों कर रही है?
बता दें कि कत्ल होने के समय अंकुश की उम्र मात्र 16 साल की थी। वह नाइन्थ क्लास का छात्र था। गत 27 अक्तूबर को गले को जूते के फीते से घोंट कर उसकी हत्या कर दी गई थी। गांव वालों के अनुसार उसका चरित्र संदिग्ध नहीं था। पुलिस इस कत्ल को प्रेम प्रसंग बता रही है, जबकि अंकुश के पिता बलकेसर के मुताबिक पकड़े गये युवकों ने अंकुश की हत्या के पीछे पैसे एंठना बताया था। ऐसे में इस मामले कि गहराई से जांच जरूरी हो गई है।