निकले थे मासूम के मुंडन संस्कार को, बेरहम कुदरत ने परिवार का अंतिम संस्कार कर डाला
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। कार हादसे में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत के 36 घंटे बाद भी बर्डपुर ब्लाक के रक्सैल गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। यह सन्नाटा या तो महिलाओं के रुदन से टूटता है या पीड़ित परिवार के घर पहुंच रहे लोगों के कदमों की थाप से नीरवता भंग होती है। गांव के लोग ऊंची आवाज में बात इसलिए नहीं करते, क्यों कि गांव के राजेन्द्र के घर दर्दनाक हादसे के बाद लाशों का ढेर जो लगा हुआ है।
बर्डपुर-सिद्धार्थनगर के बीच बढ़या चौराहे पर हुए हादसे के बृद्ध राजेन्द्र के घर आये एक फोन ने खुशी के माहौल को गम में बदल दिया। घर में कल से ही खुशी मनाई जा रही थी। क्यों कि उनका पूरा परिवार उनके तीन वर्षीय पोते हिमांशु के मुंडन के लिए मैरवा माता मंदिर बिहार जा रहा था। लेकिन भाग्य का लिखा कौन जानता था कि हिमांशु का मुंडन तो नहीं हो पायेगा, वरन आधें रास्ते से उसके घर छः छः लाशें अतिम संस्कार के लिए लौटेंगी।
बतातें हैं कि राजेन्द्र का 37 वर्षीय पुत्र मुनील सोमवार सुबह को लगभग चार बजे घर से मैरवा (बिहार) के लिए कार से निकल गए थे। लेकिन किसको पता था कि खुशियों का यह पल मातम में बदल जाएगा। राजेंद्र के मझले पुत्र मनील के तीन साल के लड़के हिमांशु के मुंडन संस्कार में उनकी पत्नी, बेटा, बेटी, मां, बहन भाई व पाच बच्चों समेत घर के सभी 10 लोग जा रहे थे।
अतिम संस्कार बन गया मुंडन संस्कार
घर से सभी की रवानगी के एक घंटे बाद ही हादसे की खबर आयी। परिवार के पांच सदस्यों की मौत की खबर ने परिवार और रक्सेल गांव के लोगों को हिला कर रख दिया। घर पर मौजूद परिवार के शेष सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। केवल पिता राजेंद्र ही एकमात्र ऐसे थे, जो सीने में गम का तूफान दबाये अब तक लोगों को हिम्मत बांध रहे हैं कल भोर के हादसे के बाद आज भी पूरे दिन गांव और रिश्तेदारों का आना जाना घर पर लगा रहा। कुछ लोग यह कहते हुए दिखे की बहुत अच्छा परिवार था। सभी से मिल जुल व हंस बोल कर रहते थे। यथा शक्ति सबकी मदद भी करते थे, परन्तु कल जाने किसकी नजर लग गई और बच्चे का मुंडन संस्कार सात लोगों के अंतिम संस्कार में बदल गया। हिमांशु के पिता मुनील अभी भी जख्मी हैं। उनकी हालत नाजुक है।
फिलहाल मनील के दो बच्चों हिमांशु व शुभांगी, उनकी पत्नी, बड़ी बहन, उनकी उनकी माता व एक अन्य के अतिम संस्कार कर दिया गया है और गांव का सन्नाटा कायम है, जिसको मुनील के घर से रह रह कर निकलने वाली सिसकियां ही तोड़ रही हैं।
मौत की खबर से उड़ गए परिवार के होश
चिल्हिया थाना क्षेत्र के रमवापुर की कलावती भी अपने भतीजे के मुंडन
संस्कार में मैरवा जा रही थी। लेकिन किसको पता था कि नेग की जगह उसको मौत
मिल जाएगी। कलावती के तीन पुत्र श्रीराम, वीरेंद्र, अंकित और दो पुत्री
बबिता, सबिता हैं। जिसमें बड़े बेटे की शादी हुई है। बाकी चारों बच्चों
की शादी भी नहीं हुई। मौत की खबर मिलने के बाद परिवार के सभी सदस्यों का
रो-रोकर बुरा हाल है।