सरकार कोरोना से बचाव को कह रही और हमारे बेसिक शिक्षामंत्री उसका मजाक उड़ा रहे
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। कोरोना की दूसरी लहर पहले से भी ज्यादा खतरनाक है। इस लहर में अब तक जिले के पांच सौ लोग संक्रमित हो चुके हैं। नाइट कर्फ्यू चल रहा है। लोगों को बिना मास्क के न निकलने, भीड़ न लगाने आदि के आदेश हैं। लेकिन विधानसभा क्षेत्र इटवा के विधायक और प्रदेश के शिक्षा मंत्री को न तो कोरोना का खौफ है, न ही कोरोना नियमों से मतलब। वह सरेआम इस महामारी से बचाव के लिए बने नियमों की ही नहीं मोटर व्हेकिल एक्ट की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं।
प्राप्त विवरण के अनुसार बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्धिवेदी कल अपरान्ह पंचायत चुनाव में एक प्रत्याशी के समर्थन में कठेला जनूबी क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए निकले थे। सबसे आगे की बाइक पर मंत्री जी पीछे बैठे थे। उनके पीछे मोटर साइकिलों का पूरा हुजूम था। कैमरे में कैद सात सात मोटर साइकिलों पर पीछे बैठे अथवा किसी भी चालक के चेहरे पर मास्क नहीं था। केवल एक बाइक चालक का मुंह गमछे से ढका हुआ था। शेष को कोरोना नियमों की परवाह नहीं थी।
यही नहीं चालक और बाइक पर बैठे किसी भी व्यक्ति के सर पर हेलमेट भी नहीं था। इसके अलावा तीन मोटर साइकिलों पर तीन-तीन लोग थे। यह मोटर व्हेकिल एक्ट का सरासर उल्लंघन था। शासन ने मास्क न लगाने पर व एमवी एक्ट के उल्लंघन पर जुर्माने का प्राविधान कर रखा है। परन्तु देश में ताकतवर तबके के लिए वे सारे प्राविधान बेकार बन कर रह गये हैं।
अभी हाल में नार्वे के प्रधानमंत्री द्वारा कोरोना नियम तोड़ने पर वहां की पुलिस ने न केवल चालान काटा बल्कि उनसे भारी भरकम जुर्माना भी वसूला। शासनाध्यक्ष का कसूर सिर्फ इतना था कि उनके निजी कार्यक्रम में 10 के बजाए 13 व्यक्ति शामिल हो गये थे। वहां की पुलिस ने बकायदा मीडिया को बताया कि चूंकि नियम ताकतवर व्यक्ति ने तोड़ा था, इसलिए जुर्माना भी भारी भरकम लगाया था। मगर अपने यहां नियम कानून दरकिनार कर बड़े बड़े राजनीतिज्ञ बेखौफ हो कर न केवल नियम को तोड़ कोरोना का मजाक उड़ा रहे हैं, बल्कि जनता को कोरोना से न डरने का अप्रत्यक्ष संदेश भी पहुंचा रहे हैं।
इटवा क्षेत्र में चर्चा है कि देश की जनता अपने जन प्रतिनिधियों से प्रेरणा लेती है। यदि मंत्री जी कोरोना नियम का पालन करते तो जनता में उससे एक सकारात्मक संदेश जाता और जुर्माना आदि के भय से जनता कोरोना नियमों का पालन करती। मगर मंत्री जी को शायद याद न रहा हो कि वह एक जन प्रतिनिधि ही नहीं देश के सबसे बड़े सूबे के मंत्री भी हैं।