सपा़ बसपा का गणित फेल, अपनी जातियों का भी वोट नहीं दिला पाये मायावती, अखिलेश
— डुमरियागंज सीट पर गठबंधन के पक्ष्र में समीकरण होने के बावजूद क्यों हारे बसपा के आफताब आलम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। सपा-बसपा का वर्गीय समीकरण इस प्रकार था कि जिसके आधार पर वह उत्तर प्रदेश में एक अजेय ताकत दिखती थी। कम से कम डुमरियागंज संसदीय सीट पर वह अपराजित दिख रही थी लेकिन चुनाव परिणाम सामने आया तो सारे समीकरण पलट गये। डुमरियागंज सीट से गठबन्धन प्रत्याशी की हार तो हुई ही गठबन्धन पूरे प्रदेश में ध्वस्त हो गया और मायावती व अखिलेश यादव के हाथों से तोते उड गये।
डुमरियागंज संसदीय सीट का विश्लेषण।
डुमरियागंज संसदीय सीट पर कुल पडे मतो का तदाद 9 लाख 85 हजार 269 थी जिसमें भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल को 4 लाख 52 हजार 145 तथा बसपा प्रत्याशी आफताब आलम को 3 लाख 86 हजार 901 मत मिले कांग्रेस प्रत्याशी डां चन्द्रेश उपाध्याय को 60 हजार 538 मतों से संतोष करना पडा। मुस्लिम मतों की दावेदार पार्टी को 6 हजार से भी कम वोट मिले।
गठबन्धन प्रत्याशा आफताब आलम को मिले मतों को देखकर कहा जा सकता है कि मायावती और अखिलेश यादव का दलित, मुस्लिम, पिछडा गठजोड का समीकरण पुरी तरह फेल रहा। इस समीकरण के मुताबिक जिले के 30 प्रतिशत मुस्लिम 18 प्रतिशत दलित व 39 प्रतिशत पिछडो का जबरदस्त गठबन्धन था लेकिन इसमें से गठबन्धन उम्मीदवार को मुस्लमानों के अलावा पिछडो में 9 प्रतिशत यादवो का आधा लगभग 4 प्रतिशत वोट ही मिला। इसके अलावा दलित वर्ग में 11 प्रतिशत जाटव⁄चमार छोड कर शेष पासी और धोबी आदि दलित जातियां भी गठबन्धन के साथ नहीं रही। लिहाजा गठबन्धन के आफताब आलम को जहां 60 प्रतिशत मत पाना चाहिए था वही उन्हें केवल 46 प्रतिशत मत ही मिल सके। इस प्रकार यह साबित होता है कि इस चुनाव में जाटव⁄चमार समाज व आधा यादव समाज को छोड कर लगभग शहरी जातियां हिन्दु मुस्लमान के नाम पर गठबन्धन विरोधी खेमे में चली गयी।
ध्रुवीकरण का सबसे बडा प्रमाण डुमरियागंज।
ध्रुवीकरण इतना जबरदस्त हुआ कि डुमरियागंज विधान सभा क्षेत्र जहां मुस्लिम लगभग 37 प्रतिशत थे इसके अलावा 17 मे से 11 प्रतिशत चमार समाज और 9 प्रतिशत यादवो में से 3 प्रतिशत यानि 51 प्रतिशत वोट आफताब को मिले तो शेष सारे वोट अर्थात 49 प्रतिशत मत जगदम्बिका पाल को मिले। यह बसपा को 90 हजार 630 और भाजपा को 89 हजार 237 मिलने का मतलब साफ है की आधा यादव दलितों में चमार समाज और सम्पूर्ण मुस्लिम को छोड कर समस्त हिन्दु वोट भाजपा को गया। कांग्रेस के 60 हजार मतों में हिन्दु मुस्लिम दोनो ही पारमपरिक मत थे जब कि पीस पार्टी के इरफान अहमद को पूरी लोक सभा क्षेत्र में 6 हजार मुस्लमानों ने ही वोट दिया
माया-अखिलेश को सोचना होगा।
डुमरियागंज संसदीय सीट पर जिस प्रकार जनता ने वर्ग आधारित गठजोड को नकार कर धर्मिक धु्वीकरण को मान्यता दी है उसी प्रकार उत्तर प्रदेश के अधिकांश सीटों पर धु्वीकरण की यह लहर देखने को मिली। ऐसे में अखिलेश यादव व मायावती को सोचना होगा की हिन्दुत्व की लहर को रोकने के लिए क्या किया जाय। जब तक यह लोग जनता के हवालेा और समस्याओं को लेकर सडक से संसद तक संर्घष नही करेंगे, धर्म की आधी उनकी सियासी फसल को बर्बाद करती रहेगी।