बौद्ध धरोहर के संरक्षण पर संसद में जगदंबिका पाल का महत्वपूर्ण सवाल
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सांसद जगदंबिका पाल ने सिद्धार्थनगर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण व विकास पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण अतारांकित प्रश्न उठाया। यह प्रश्न विशेष रूप से जिले में स्थित प्राचीन बौद्ध स्थलों पिपरहवा, गनवरिया और कपिलवस्तु क्षेत्र की राष्ट्रीय महत्त्व की विरासत को सुरक्षित रखने और उसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने से संबंधित था।
श्री पाल ने अपने प्रश्न में यह जानना चाहा कि:
सिद्धार्थनगर जिले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित 5 राष्ट्रीय महत्व के स्मारक कौन-कौन से हैं और किस वर्ष उन्हें अधिसूचित किया गया। इन स्थलों के संरक्षण, रख रखाव और आधार भूत संरचना के विकास पर 2019–20 से 2025–26 तक कितनी राशि आवंटित और व्यय की गई। पिपरहवा और गणवरिया जैसे टिकटेड स्मारकों से पर्यटन राजस्व का संग्रहण और उपयोग कैसे किया जा रहा है।
सरकार की ओर से प्राप्त जवाब में स्पष्ट किया गया कि:
उत्तर प्रदेश में कुल 735 राष्ट्रीय स्मारकों में से 5 स्मारक सिद्धार्थनगर जिले में स्थित हैं, जिनमें शाक्य गण के स्तूप, प्राचीन स्थल तथा अन्य बौद्ध अवशेष शामिल हैं। केंद्र सरकार और ASI द्वारा निरंतर संरक्षण प्रयासों, मरम्मत कार्यों, पर्यटक सुविधाओं के उन्नयन तथा स्वच्छता एवं पहुँच-सुविधा (accessibility) में सुधार के माध्यम से इन विरासत स्थलों को बेहतर रूप से सुरक्षित रखा जा रहा है।
पिपरहवा और गणवरिया को टिकटेड स्मारकों की सूची में शामिल किया गया है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है तथा राजस्व का उपयोग स्थानीय सुविधाओं के विकास में किया जा रहा है। सरकार नियमित संरक्षण गति विधियों के माध्यम से जलवायु से होने वाली प्राकृतिक क्षति को भी प्रभावी रूप से संबोधित कर रही है। इस अवसर पर श्री पाल ने कहा कि सिद्धार्थनगर केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि भारत की बौद्ध विरासत और प्राचीन सभ्यता का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी किया।





