नेपाल ने भारतीय सीमा पर वाच टावर व बंकर निर्माण शुरू किया, सम्बंधों में खटास और बढ़ी?

July 9, 2020 12:55 PM0 commentsViews: 556
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नेपाल बार्डर से नजीर मलिक

नेपाल ने हाल में सिद्धार्थनगर जनपद से सटी सीमा पर बढ़ी टाउन के सामने एक वाच टावर खड़ा कर दिया है। इसके अलावा खबर है कि उसने उत्तराखंड सीमा पर भी स्थाईबिंकरों का निर्माएा शुरू कर दिया है। इससे प्रतीत होता है कि भारत-नेपाल के सम्बंधों में अब वो गर्मजाशी नही रह गई है। बलिक इसके उलट उसमें खटास बढ़ती ही जा रही है। इसी बिगड़ते सम्बंधों को सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिक चिंता भरी दृष्टि से देख रहे हैं।

बताया जाता है कि भारत नेपाल मैत्री संघ के तहत भारत नपाल की सीमा पर किसी भी प्रकार की सैनिक गतिविधियां  ना करने का समझौता था। ऐसी परिस्थिति में जब कोरोना वायरस के नाम पर नेपाल ने भारत नपाल सीमा के पास सैनिक टेंट लगाते समय बहाना बनाया कि भारत से आने वाले प्रवासियों नेपाली मजदूरों की चिकित्सीय सुविधा को ध्यान में रखते हुए, उन्हें निश्चित स्थान तक पहुंचाने के लिए यह व्यवस्था की गई है।

इस घटना के कुछ ही दिन बाद  सिद्धार्थनगर जनपद के बढ़नी बॉर्डर के पास स्थित कृष्णानगर (नेपाल) भंसार पर एक टावर खड़ा कर दिया है।  इसी प्रकार कुछ जानकारों का कहना है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से संबंधित सीमा पर भी स्थाई बैंकरों का निर्माण शुरु कर दिया है। बहरहाल इस टावर की उपयोगिता के बारे में कोई कुछ जवाब देने को तैयार नहीं है।

  विदित है कि नेपाल ने आधिकारिक रूप से नवीन मानचित्र जारी किया गया, जो उत्तराखंड के कालापानी,  लिंपियाधुरा,  और लिपुलेख को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता है। निश्चित रूप से नेपाल की इस प्रकार की प्रतिक्रिया ने भारत को अचंभित कर दिया है। इतना ही नहीं नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी शर्मा ओली  ने नेपाल में कोरोना वायरस के प्रसार में भारत को दोष देकर दोनों देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण कर दिया है।       

नेपाल, भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है तथा सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों के कारण वह हमारी विदेश नीति में भी विशेष महत्त्व रखता है। भारत और नेपाल हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म को समान रूप से साझा करते हैं। उल्लेखनीय है कि बुद्ध का जन्मस्थान लुम्बिनी नेपाल में है और उनका निर्वाण स्थान कुशीनगर भारत में स्थित है। वर्ष 1950 की ‘भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि’ दोनों देशों के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार है।

भारत व नेपाल के मध्य हालिया विवाद का कारण उत्तराखंड के धारचूला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ती एक सड़क है। नेपाल का दावा है कि कालापानी के पास पड़ने वाला यह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है और भारत ने नेपाल से वार्ता किये बिना इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य किया है। नेपाल द्वारा आधिकारिक रूप से नेपाल का नवीन मानचित्र जारी किया गया, जो उत्तराखंड के कालापानी लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता है। दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट तब आई जब सितंबर, 2015 में नेपाली संविधान अस्तित्व में आया। लेकिन, भारत द्वारा नेपाली संविधान का उस रूप में स्वागत नहीं किया गया जिस रूप में नेपाल को आशा थी।  

बहरहाल आज भारत-नेपाल के सम्बंध तनावपूर्ण हैं। इस बीच भारत की चीन से भी ठन गई है। लोगों का मानना है कि नेपाल अब चीन के समर्थन के कारण भारत से अकड़ दिखा रहा है। नेपाल में चीनी भाषा के स्कूल, और अब सीमा पर वाच टावर एवं बंकरों की स्थापना संकेत देते हैं कि सब कुछ इतना आसान नही है, जितना भारत समझ रहा है।

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