सिद्धार्थनगर में भारत बंद विफल, प्रमुख सपा कांग्रेस नेता नजरबंद या गिरफ्तार बसपा नहीं दिखी मैदान में
स्थानीय ककलक्ट्रेट में अकेले किसान यूनियन के कार्यकर्ता ही विरोध का स्वर बुलंद करते रहे
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगरदिल्ली में आंदोलनरत किसानों के आहवान भारत बंद कार्यक्रम कम से कम सिद्धार्थनगर जिले में पूरी तरह विफल रहा। आज सवेरे ही समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के प्रमुख नेता अपने घरों पर नजरबंद कर दिए गये। बाकी बसपा आदि पार्टियों के नेता तो घरों से बाहर ही नहीं निकले। केवल किसान यूनियन के वर्कर ही कलक्ट्रेट में पहुंच कर अपनी सरकार विरोधी आवाज बुलंद करते रहे।
मिली जानकारी के अनुसार के अनुसार दआज सुबह हीजिले भर की पुलिस नियजित और संगठित तौर पर दोनों दलों के प्रमुख नेताओं की घराबंदी की। कईयों के आवास को घेर लिया। ताकि वे बाहर न निकल सकें। प्रातः काल में इटवा के सपा नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, बांसी के सपा जिलाध्यक्ष पूर्व विधायक लाल जी यादव, पालिका चेयरमैन मो. इदरीश पटवारी, पूर्व चेयरमैन व सपा नेत्री चमनआरा राइनी व अंबिकेश श्रीवास्तव मुख्यालय से पूर्व विधायक विजय पासवान, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष जमील सिद्दीकी को उनके घरों में नजरबंद कर देने की खबरें मिलीं।
इसके अलावा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष काजी सुहेल अहमद भी नजरबंद किये गये। इसके बाद प्रदर्शन केलिए बजि कांग्रेस नेता व प्रख्यात चिकित्सक डा. चन्द्रेश उपाध्याय, प्रदीप ठकुराई आदि को गिरफतार कर पुलिस अपने साथ ले गई। उन्हें बर्बरता से घसीटते हुए पुलिस वाहन में बिठाया गया। इसके अलावा भी दर्जनों नेता गिरफ्तार किये गये।गिरफ्तारी के दौरान कांग्रेसी सरकार के खिलाफ जोदार नारेबाजी कर रहे थे।
केवल किसान यूनियन के लोग अपने कार्यकर्ताओं कके साथ कलक्ट्रट परिसर में सभा कर सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे थे। कार्यकर्ताओं में पुलिस का कोई खौफ नहीं था। हालिकि इस दौरान पूरा परिसर पुलिस छावनी बना हुआ था।लेकिन उन धरती पुत्रों की दहाड़ जरा भी मद्धिम नहीं पड़ रही थी।
इस मौके पर सपा और कांग्रेस के नेता ने इस गिरफ्तारी और नजरबंदी को हिटलरशाही की संज्ञा दी। नेताओं के अनुसार शांतिपूर्वक आंदोलन करना लोकतात्रिक अधिकार है, लेकिन सरकार के निर्देश में पुलिस का इस तरह आंदोलन कुचलना अलोकतांत्रिक है। ऐसा कर सरकार स्वयं अपनी कब खोद रही है। लालजी यादव ने कहा कि अब यह संघर्ष रुकने वाला नहीं है। हम सरकार की जनविरोधी नतियों का अंतिम सांस तक विरोध करते रहेंगे।