डा. भास्कर शर्मा को मिली पीएचडी होम्यो की मानद उपाधि
हमीद खान
इटवा, सिद्धार्थनगर। सुनियोजित संघर्ष, सक्रियता एवं सृजनशीलता मानव को नये मुकाम पर पहुंचाती है। यही वे गुण हैं, जिनके जरिये कोई भी व्यक्ति सफलताओं की श्रृंखला तैयार करता है। जनपद ही नहीं देश-विदेश में अपनी मेधा का परचम लहराकर क्षेत्र के होम्योपैथिक चिकित्सक डा. भास्कर शर्मा उदाहरण बनते जा रहे हैं।
24 अप्रैल को ऑयनाक्स अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय महाराष्ट्र के तत्वाधान में आयोजित 57वें अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रेन्स एवं दीक्षान्त समारोह में होम्योपैथिक चिकित्सक डा. भास्कर शर्मा ने स्टडी ऑन द कन्सीडेरेसन ऑफ मेन्टल थ्रो केस स्टडी ऑन माइग्रेन विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने माइग्रेन के लक्षण, कारण एवं बचाव और निवारण पर प्रकाश डाला।
समारोह के अन्त में होम्योपैथी में विशेष कार्यों के लिये ऑयनाक्स अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर डा. विट्ठल मदन ने डा. भास्कर शर्मा को पीएचडी (होम्योपैथी) की मानद उपाधि से अलंकृत किया। चांसलर ने डा. भास्कर शर्मा को होम्योपैथिक शोध गाइड भी नियुक्त करते हुये होम्योपैथी पद्धति के विकास में सहयोग करने का भी पत्र सौंपा।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के चांसलर डा. विट्ठल श्रीरंग मदन ने कहा कि डा. भास्कर शर्मा ने कम ही समय में जिस प्रकार से होम्योपैथी के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी निभायी है। ऐसे बहुत ही कम देखने को मिलते हैं।
उनकी इसी निष्ठा व सम्मान को मद्देनजर रखते हुये विश्वविद्यालय की शोध इकाई ने इन्हें मानद उपाधि से अलंकृत रखने का निर्णया किया। समारोह में डा. भास्कर शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘सेक्स समस्याएं और होम्योपैथी’’ का विमोचन भी किया गया।