हाले भीमापार: बारहो माह पानी व कीचड़ मेंं डूबी रहती है सड़क, हमेशा गिरकर चोटिल होते है लोग
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। सड़कें आवागमन का माध्यम हैं। पगडंडी खड़ंजा गली आदि पार करके लोग जब सड़क पर पहुंचते हैं तो यही मानते हैं कि उनकी यात्रा आराम से हो जाएगी पर अफसोस है कि भीमापार के रिहायशी इलाके के लोगों को यह अनुभूति कभी नहीं हो पाई। यहां के लोग बारहों महीने पानी और कीचड़ में घुसकर यात्रा करने को मजबूर हैं। भीमापार के इस इलाके के लोगों को अपने घर से बाहर निकलते ही खतरे का अहसास होने लगता है। उनकी यह चिंता अकारण ही नहीं है।
दरअसल जिला मुख्यालय के भीमापार के रिहायशी इलाके की यह सड़क बारहों माह पानी में डूबी रहती है। बरसात के मौसम में तो यह सड़क किसी बड़े नाले का रूप धारण कर लेती है। यह पिच मार्ग बांसी रोड एनएच 233 पर पाठक हॉस्पिटल से गोरखपुरी टोला होते हुए सेंट जेवियर्स रोड पर जाकर मिलती है। इसी मार्ग पर डीएवी एजुकेशनल एकेडमी और सरला इंटरनेशनल स्कूल जैसे दो बड़े विद्यालय भी स्थित हैं इस मार्ग पर सैकड़ों आवास भी स्थित है।
बावजूद इसके सड़क की स्थिति अत्यंत दुखदाई है। पानी में डूबी इस सड़क का सही आकलन ना कर पाने की वजह से अक्सर लोग गिरकर चोटिल हो जाया करते हैं। ऐसे में जब भी उनके घर कोई मेहमान आता है तो लोग फोन पर ही उन्हें चेतावनी जरूर देते हैं कि इस सड़क पर संभल कर आइएगा क्योंकि सड़क जलमग्न और बहुत ही खराब है।
इस क्षेत्र के निवासी अधिवक्ता संजीव श्रीवास्तव, अभिनव झा, अनिल पांडेय, बीपी त्रिपाठी, विनय पांडेय, अरविंद झा, अकबर अली, गंगोत्री मिश्र, पप्पू तिवारी, प्रशस्त उपाध्याय, धर्म प्रकाश श्रीवास्तव, मनीष पांडे, प्रशांत वर्मा, अमित कुमार आदि तमाम लोगों ने बताया कि इस समस्या को लेकर पूर्व में कई बार वह लोग लिखित और मौखिक रूप से सांसद विधायक आदि जनप्रतिनिधियों का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं लेकिन उन्हें बदले में सिर्फ आश्वासन की घुट्टी पिलाई गई। लोगों ने एक बार पुनः जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए समस्या के शीघ्र समाधान की मांग की है। लोगों ने कहा कि यदि इस बार समस्या का समाधान नहीं हुआ तो लोग आंदोलन को विवश होंगे।