बुद्धा ट्रस्ट बनाम जिला पंचायत विवाद की असली वजह राजनीतिक वर्चस्व की
— प्रकरण में क्षेत्रय सांसद व विधायक की शह, लेकिन सरकार बदलेगी सच निकलेगा़- चिनकू यादव।
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज स्थित बुद्धा चेरिटेबुल ट्रस्ट को जिला पंचायत द्धारा एलाटेड भूसम्पत्ति से बेदखल करने का रहस्य अब गहराता जा रहा है। लगता है यह मामला एक भवन को खाली कराने तक ही नहीं है। बल्कि यह उससे भी आगे दो राजनीतिक दलों के बीच का मसला भी बन गया है। रविवार की घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी के खेमे में जहां अधोषित खुशी है वहीं समाजवादी पार्टी में घोषित रूप से मातम छाया हुआ है।
बता दें कि 2015 से पूर्व जिला पंचायत सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज में स्थित एक जमीन को बुद्धा चैरिटेबुल ट्रस्ट के पक्ष में एलाट करने की प्रकिया पूरी की गई। इसमें बुद्धा ट्रस्ट ने अपना कार्यालय बनाया। बुद्ध की विशालमूर्ति स्थापित हुई। वहां ट्रस्ट ने 29 लाख रूपये का एक भवन भी जिला पंचायत के निर्देश पर बनवाया। क्यों कि जिला पंचायत के मुताबिक उस समय विभाग के पास धन नहीं था। हालांकि जिला पंचायत के मुताकि अब यह राशि लौटाई जा चुकी है। यह सब दस्तावेज का हिस्सा हैं।
यहां यह बता देना जरूरी है कि यह काम उस समय हुआ जब जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रतिनिधि सपा नेता राम कुमार उर्फ चिनकू यादव थे। बाद में चिनकू यादव ने उसी भवन में अपना कार्यालय भी बना लिया। ट्रस्ट का कार्यालय व बौद्ध पगोडा भी वहीं पर था। मगर हालात ने पल्टा खाया 2016 से 2001 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहे गरीबदास का बीच。 में ही पावर सीज कराकर अध्यक्ष की जगह त्रिस्तरीय कमेटी बना दी गई। सारा विवाद यहीं से शुरू हुआ। इस कमेंटी पर भाजपा का प्रभाव था। सरकार भी भाजपा की ही थी।
डुमरियागंज की जनता बताती है कि प्रदेश में भाजपा सरकार गठित होने के बाद चिनकू यादव कमजोर हुए और जिला पंचायत ने बुद्धा चैरिटेबुल ट्रस्ट का एलाटमेंट 2015 निरस्त कर दिया। जिला पंचायत के अनुसार यह प्रकिया नियमानुसार थी। जबकि ट्रस्ट के प्रबंधक राम जियावन के अनुसार पूरी प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन कर एलाटमेंट निरस्त किया गया। फिर भी ट्रस्ट ने कब्जा नहीं छोडा, बल्कि ट्रस्ट वहीं जमा रहा और उसने हाई कोर्ट की शरण ली, लेकिन उसे वहां से स्थगनादेश नहीं मिल सका।
इधर डुमरियागंज एसडीएम ने भी उन्हें एक नोटिस के जरिए एक माह का टाइम दिया। जिसकी अंतिम तिथि 7 सितम्बर थी। बकौल एसडीएम त्रिभुवन प्रसाद अंतिम नोटिस के बाद भी ट्रस्ट की ओर से कोई जवाब नहीं आया न ही कोई स्थगनादेश ही प्रस्तुत किया गया। अतः जिला पंचायत के अनुरोध पर पुलिस बल लगा कर उक्त सम्पत्ति पर विभाग को कब्जा दिलाया गया। बता दें कि रविवार सायं कई थानों की फोर्स जुटकर उक्त ट्रस्ट परिसर को चारों तरफ से घेर कर वहां रखे गये सामानों की सूची बना कर उसे सुरक्षित रखते हुए जिला पंचायज की पूरी सम्पत्ति उनको वापस दिलाई गई थी।
सत्ता पक्ष के विधायक और सांसद की शह पर हुआ अन्याय- चिनकू यादव
इस बारे में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के पति व बाद के अध्यक्ष गरीब दास के भी प्रतिनिधि रहे समाजवादी पार्टी के नेता चिनकू यादव ने कहा कि उस आवास में उनका कार्यालय नहीं था। वह दो सालों से उधर से गुजरे भी नहीं। इस प्रकरण से उनका कोई लेना देना नहीं, मगर इतना तो जानते ही हैं कि ट्रस्ट को जमीन का एलाटमेंट नियमानुसार बोर्ड के बहुमत पर हुआ था। उसे बहुमत ही निरस्त कर सकता है।
चन्द् लोगों के फैसले के आधर पर एलटमेंट रद करना कानून से परे है। उन्होंने खुला आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के सांसद और एक विधायक की शह पर यह दुष्कृत्य किया गया है। लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि कल उनकी सरकार की जगह सपा की भी सरकार आयेगी, तब दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाएगा।
सार्वजनिक उपयोग में लाया जाएगा भवन- जिपं अध्यक्ष
प्रकरण पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शीतल सिंह ने कहा कि बुद्धा चैरिटेबल से खाली करवाए गए भवन का इस्तेमाल सार्वजनिक उपयोग में लाया जाएगा। पूर्ववर्ती सपा सरकार द्वारा किए गए गलत आवंटन के इतर अब यह भवन किसी संस्था या दल का नहीं होगा। अब भवन डुमरियागंज के लोगों के लिए खास होगा। इस पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सब कुछ नियमानुसार ही हुआ है।
नियमानुसार ट्रस्ट को दिया गया था भवन- प्रबंधक
बुद्धा चैरिटबल ट्रस्ट के प्रबंधक राम जियावन ने कहा कि जिला पंचायत प्रशासन द्वारा 6 वर्ष पूर्व मौजूदा अधिकारियों की कमेटी के माध्यम से नियमानुसार संस्था के नाम आवंटन किया गया था। जिसे द्वेष बस राजनीति के तांडव के चलते एक समाज सेवी संस्था जिससे दलित, गरीब, असहाय लोगोंं को मदद पहुँचायी जाती थी। इससे पूर्व ज़िला पंचायत कार्यलय से कोई भी पत्र जारी किया जाता था, तो वह मेरे द्वारा प्राप्त किया जाता था। लेकिन इसके संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं दी गयी और आज पुलिस फोर्स के साथ अचानक पहुंच कर कब्ज़ा किया गया।