— गोरखपुरः क्या चिल्लूपार सीट से सपा की नाकामी का मिथक तोड़ पाएंगे अखिलेश यादव
— इस बार भाजपा बसपा का दांव उन्हीं पर आजमाएगी सपा, देगी ब्राह्मण प्रत्याशी
नजीर मलिक
गोरखपुर, यूपी। गोरखपुर जिले की महत्वपूर्ण चिल्लूपार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी को इस बार जीतने वाले प्रत्याशी की तलाश है। इसके लिए वह एक ब्रहमण प्रत्याशी की तलाश में शिद्दत से लगी हुई है। दरअसल सोशल इंजनियरिंग के मद्देनजर अतीत में यहां से ब्राह्मण प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं। इसलिए अखिलेश यादव और उनकी पार्टी समावादी पार्टी ने भी यहां आजमाये हुए नुस्खे को आजमाने का मन बना लिया है।
पिछले चुनाव में यहां से सपा के कद्दावर नेता राम भुआल निषाद चुनाव लड़े थे। लेकिन वह 52 हजार मत पाकर बसपा के विनय शंकर तिवारी से लगभग 27 हजार मतों से पराजित हो गये थे। इससे पूर्व वहां से भाजपा से राजेश त्रिपाठी दो बार चुनाव जीते और मंत्री बने थे। इससे पूर्व भी वहां के प्रत्येक विधानसभा चुनाव में अनेक बार ब्राह्मण प्रत्याशी ही कामयाब हुए थे। इस बार समय से पहले ही अपने उम्मीदवारों की तैयारी कर रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यहां ब्राह्मण कार्ड खेल कर इस क्षेत्र से सपा की नाकामयाबी का मिथक तोड़ देने पर तुले हुए है। इसके लिए वे अपने लोगों को समझा भी रहे हैं कि सत्ता की जंग में यह दांव कितना
बताते चलें कि अगले कुछ महीनों के बाद राजनीतिक दलों की ब्रिगेडें तैनात होने लगेंगी, यहां के पूर्व प्रत्याशी राम भुआल निषाद ने अब रुद्रपुर से लड़ने का मन बना लिया है। कई बार प्रमुख रह चुके और वर्तमान में सपा से सियासत कर रहे विजय यादव भी साइकिल की सवारी करने को बेताब है जिनकी बैक डोर से पैरवी सपा के एक पूर्व सांसद कर रहे है ,वही जातीय समीकरणों की बात करे तो इस सीट पर ब्राह्मण मतदाता 85 हजार, दलित 95 हजार व यादव करीब 60 हजार हैं। क्षेत्र में मुस्लिम कम हैं। वे लगभग 30 से 35 हजार हैं।
सपा सुप्रीमो इस सीट पर ब्राह्मण दांव खेलने के मूड में हैं। जिससे सपा के परम्परागत यादव व मुस्लिम वोट के साथ ब्राह्मण का समीकरण फिट कर जाए तो पहली बार यहां से साइकिल की स्पीड़ बढ़ मिजिल तक पहुंच जाए।
सपा सूत्रों की माने तो एक बड़े राजनीतिक परिवार का सम्पर्क सपा सुप्रीमो से बढ़ा है और पिछले महीनों उस परिवार की एक शख्सियत और सपा सुप्रीमो की मुलाकात भी हो चुकी है। सपा के एक एम एल सी इनकी बातचीत के बीच पुल का काम कर रहे है,शायद जल्द ही सपा अपने पते खोले। उनके इंकार की दशा में कोई अन्य ब्राहमण प्रत्याशी लाया जा सकता है। बा दें कि वर्तमान में ब्राह्मण समाज पर हो रहे अत्याचार को भी सपा सुप्रीमो भुनाना चाहते और यह संदेश देना चाहते हैं कि ब्राह्मण समाज सपा के साथ है।