जिला पंचायत अध्यक्ष पद की जंग जीतने के लिए अभी से कमर कसने लगे सियासी योद्धा
अधिकांश दावेदार सत्ता पक्ष की ओर से, विपक्ष के लोग अंदर ही अंदर बना रहे रणनीति
नजीर मलिक
सिद्धार्थनर। चुनावी बयार बहने लगी है। जिले में प्रधान के चुनाव के साथ ब्लाक और जिला पंचायत पदों के भी चुनाव होने हैं। इन्हीं सदस्यों के बीच से प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना है।बजट और विकास कार्यों की दृष्टि से जिला पंचायत अध्यक्ष का पद किसी मंत्री से कम नहीं होता है। इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अभी से तैयारियां शुरू हो गई है। यह और बात है कि इस पद के लिए दावेदारी कर रहे जितने भी चेहरे सामने आये हैं, उनमें से अधिकांश सत्ता पक्ष से ही दिखते हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव की तैयारी कर रहे अब तक जितने भी चेहरे सामने आये है, उनमें अधिकांश भाजपा अथवा उसके समर्थक चेहरे हैं। उदाहरण के लिए क्षेत्र संख्या एक से भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजबिहारी मिश्र अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारने की तैारी में लगे हैं। बताते चलें कि यह पद महिला के लिए आरक्षित है। बृजबिहारी भाजपा के बड़े नेता और संघ के समर्पित पदाधिकारी रहे हैं। और आज भी काफी सक्रिय हैं। संगठन में उनकी पकड़ जग जाहिर है।
इसके अलावा भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष लाल जी त्रिपाठी उर्फ लालबाबा के भी अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाये जाने की चर्चा है। वे जिला पंचायय सदस्य क्षे़त्र संख्या ४१ से चुनाव की तैयारी कर रही हैं। लाल बाबा दशकों से इस क्षेत्र में लड़कियों की शादी में पीढ़ा बटावाने के कारण पीढ़ा बाबा के नाम से जाने जाते हैं।
इसके अलावा क्षेत्र संख्या ३२ से उपेन्द्र सिंह भी अपनी पत्नी को लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं। उपेंद्र सिंह साधन और संसाधन की दृष्टि से काफी मजबूत माने जाते हैं। भजपा के जिलाध्यक्ष गोबिंद माधव के चित्र वाले उनके विज्ञापन भी बताते हैं कि चुनाव को लेकर वह काफी गंभीर हैं। बांसी क्षेत्र के रहने वाले उपेन्द्र सिंह अपनी पत्नी को लड़ाना चाहते हैं। डुमरियागंज के पूर्व सांसद रामपाल सिंह के परिवार की ओर से भी किसी के मैदान में आने की संभावना है।
जहां तक सपा का सवाल है वह इस मामले में शिथिल है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा सरकार में उनकी ओर से अध्यक्ष बनने का चांस बहुत कम है। इसलिए वे बहुत अधिक सक्रिय नहीं हैं। फिर भी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जनक नंदिनी चौरसिया के मैदान में उतरने की पूरी संभावना है। अगर विपक्ष की कोई गणित बनती है तो निश्चय ही उसकी एक मात्र उम्मीदार होंगी।