जानिए, क्या है भारत में नागरिकता का कनून, फिर बनवाएं अपने दस्तावेज

December 18, 2019 12:33 PM0 commentsViews: 1045
Share news

 

—- इधर उधर के पेपरों को बनवाने में हजारों रूपये खर्च करने का कोई फयदा नही

 

नजीर मलिक

सिद्धर्थनगर। भारत में नागरिकता संशोधन विधेश्क पास हाने के बाद लोगों में नागरिकत      दस्तावेज इकटठृा करने की खलबली मच गई है। जानकारी के अभाव में  लोग गैरजरूरी कागजातों को बनवाने के लिए हजारों रूपये और समय खर्चकरने में जुट गये हैं। अभी ज्यों ज्यों भीड़ बढ़ेगी, रिश्वत का बाजार और गर्म होगा। तो आइये पहले नागरिकता कानून जाने फिर दस्तावेज बनवाएं। वरना आपका पैसा और समय बेकार जाऐगा और थ कुछ भी न आयेगा।‘

क्या कहता है संविधान?

गृह मंत्रालय के अनुसार, चार पैमानों पर भारत की नागरिकता मिलती है, जिसमें जन्म, पंजीकरण, वंश और रहने का आधार शामिल है। ये प्रावधान नागरिकता अधिनियम, 1955 के अंतर्गत धारा 3, 4, 5(1) और 5(4) में आते हैं।

जन्म के आधार परः 26 जनवरी 1950 या उसके बाद से 1 जुलाई 1987 के दौरान देश में पैदा हुए लोगों को उनके माता-पिता की नागरिकता का ख्याल करे बगैर भारतीय माना जाता है। दूसरी स्थिति में भारत में जन्म लेने वाले हर उस शख्स को भारतीय माना जाता है, जो 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच पैदा हुआ है। भले ही उसके मां-बाप उसके (शख्स) जन्म के समय देश के नागरिक क्यों न हों।

इसके अलावा 3 दिसंबर 2004 या उसके बाद देश में जन्म लेने वाले लोग भी भारतीय माने जाते हैं, जिनके अभिभावक भारतीय होते हैं या फिर उनमें (माता-पिता में) से एक बच्चे के जन्म के वक्त भारतीय हो, जबकि दूसरा अवैध प्रवासी नहीं होना चाहिए।

ये हैं नागरिकता के नियम

पंजीकरण के आधार परः नागरिकता पंजीकरण के आधार पर भी हासिल की जा सकती है, जिसके लिए नियम इस प्रकार हैं।

– भारतीय मूल का शख्स, जो देश में नागरिकता के लिए आवेदन देने के सात साल पहले तक रहा हो।– भारतीय मूल का वह शख्स जो अविभाजित भारत के बाहर किसी देश का नागरिक हो।

– वह शख्स जिसकी शादी किसी भारतीय नागरिक से हुई हो और वह नागरिकता के आवेदन करने के सात साल पहले से देश में रह रहा हो।

– वे नाबालिग बच्चे, जिनके माता-पिता भारतीय हों।

 वंश के आधार पर नागरिकता

भारत के बाहर किसी भी देश में 26 जनवरी 1950 या उसके बाद जन्मा शख्स तब भारतीय माना जाएगा, जब उसके पिता नागरिकता के आधार पर भारतीय रहे हों। भारत के बाहर 10 दिसंबर 1992 या उसके बाद से 3 दिसंबर 2004 के बीच पैदा हुआ भी भारतीय माना जाएगा। वह भी तब, जब उसके पिता जन्म से भारतीय हों।

इसके अलावा 3 दिसंबर 2004 या उसके बाद देश के बाहर पैदा हुए शख्स को नागरिकता तभी मिलेगी, जब उसके माता-पिता यह स्पष्ट करेंगे कि उनके नाबालिग बच्चे के पास किसी अन्य देश का पासपोर्ट नहीं है। साथ ही बच्चे का पंजीकरण जन्म के एक साल के भीतर भारतीय वाणिज्य दूतावास में करा लिया गया हो।

नागरिक बनने या रहने के आधार पर

देश में रहने के आधार पर कोई भी शख्स देश की नागरिकता हासिल कर सकता है। बशर्ते वह 12 सालों तक देश में रहा हो और नागरिकता अधिनियम की तीसरी अनुसूची की सभी योग्यताओं पर खरा उतरता हो। संयोधन विधेयक में १२ साल को ६ साल कर दिया गया है।

इसी को ध्शन में रख कर सभी को अपने नागरिकता के दस्तावेज इक्ट्ठा करना है। इसमें यह ध्यान रखना है नाम लिखने में हिज्जे या स्पेलिंग की गड़बड़ी न हो।

 

 

 

Leave a Reply