डुमरियागंज में कांग्रेसी “हूजूर आते आते बहुत बहुत देर कर दी” का गीत गा रहे
नजीर मलिक
“नेपाल सीमा से सटे यूपी के 11 जिलों में सबसे हाट मानी जाने वाली डुमरियागंज संसदीय सीट से कांग्रेस से मुहम्मद मुकीम के चुनाव लड़ने की संभावनाएं एक बार फिर प्रबल होने लगी हैं, संभवतः आज रात या कल सुबह घोषणा भी हो जाये, मगर कांग्रेस ने बहत देर कर दी है। अब चाहे मुकीम आयें या कोई और, चुनाव पर पकड़ बनाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। कांग्रेस के नाम पर अब क्षेत्र में हुजूर आते आते बहुत देर कर दी का गान ही बज रहा है।”
पूर्व सांसद मु.मुकीम हैं रेस में आगे
दरअसल 12 अप्रैल को राहुल गांधी के निर्देश पर उनके पीए संदीप सिंह ने खुद पूर्व सांसद मुकीम को टिकट दिए जाने की घोषणा की थी। उन्होंने मुकीम साहब को इससे अवगत भी करा दिया था, लेकिन दिल्ली में एक गुट ने ब्राहमण प्रत्याशी का लाभ बताते हुए दूसरे ही दिन जिप्पी तिवारी को रेस में आगे कर दिया। इसके बाद पूर्व सांसद मु. मुकीम का सिंबल आवंटन यानी बी फार्म रोक दिया गया। और जिप्पी तिवारी को टिकट मिलने की अफवाहें लगातार उड़ने लगीं। लेकिन इन अफवाहों में आंशिक सच्चाई थी। जिप्पी तिवारी टिकट के रेस में आ चुके थे। हालांकि बडे राजनीतिक दलों में टिकट की रेस में आने का मतलब टिकट मिलने की संभावना भर होती है, इसे टिकट का मिलना नहीं कहा जा सकता।
पूर्व सांसद मुकीम को टिकट की पूरी संभावना
इस बारे में ताजा अपडेट यह है कि मुहम्मद मुकीम को टिकट मिलने की संभावनाएं प्रबल हो चुकी हैं। कांगेस आलाकमान ने भविष्य को देखते हुए यहां से ब्राह्मण के बजाए मुस्लिम प्रत्याशी उतरने का फैसला तकरीबन कर लिया है। मुमकिन है कि मुहम्मद मुकीम के पक्ष में फैसला आज रात या कल तक कर लिया जाये।
का वर्षा जब कृषि सुखाने
लेकिन अब फैसला चाहे मुकीम के पक्ष में हो या किसी और के, कांग्रेस का जो नुकसान होना था, हो ही गया। जिले में गठबंधन के उम्मीदवार आफताब आलम और भाजपा प्रत्याशी व सांसद जगदम्बिका पाल टिकट से निश्चिंत होकर क्षेत्र में एक महीने से पसीना बहा रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस में सन्नाटा है। उसके समर्थक संशय में उूबे और हाथ पर धरे बैठे हैं। अगर कांग्रेस किसी को टिकट दे भी दे तो मतदान के दिन तक शायद पूरे क्षेत्र में कार्यालय तक न खुल पायें।
निराश हैं पूर्व सांसद मुकीम के समर्थक
क्षेत्र में पूर्व सांसद के हजारों समर्थक हैं, जो बेहद हताश और निराश हैं। उनका मानना है कि मतदान में सिर्फ 15 दिन बचे हैं, ऐसे में क्या किया जा सकता है। मुकीम के सबसे मजबूत गढ़ इटवा के कठेला क्षे़त्र में लोगों का कहना है कि इतनी देर हो गई है, ऐेसे में अब क्या किया जा सकता है।
कठेला क्षे़त्र के अब्दुल शकूर का कहना है कि वो मुकीम साहब के समर्थक हैं, लेकिन अब बहत देर हो चुकी है। अब वह जीत नहीं सकते। हमारे समाज के लोग देरी की वजह से गठबंधन के पक्ष में भाग रहे हैं। ऐसे में हम जैसे लोग ही उनके साथ रह कर क्या कर सकेंगे। एक अन्य समर्थक कयूम रजा का कहना है कि अब चुनाव भाजपा बनाम गठबंधन के बीच तय हो गया है। ऐसे में मुकीम भाई के साथ खडे होना बेवकूफी है। कयूम के मुताबिक अगर वो पहले टिकट पा गये होते तो उनके लिए तन मन से साथ रहते।
गत विधानसभा चुनाव से भी सबक नहीं लिया
कुल मिला कर क्षेत्र में काग्रेस के समर्थकों में बहुत निराशा है। ऐसे में कांग्रेस समर्थर्को का कहना है कि वह आखिरी सांस तक कांग्रेस के साथ रहेंगे, लेकिन चुनावी बाजी में हम पिछड़ ‘चुके हैं। एक वर्कर ने बताया कि ऐसे ही गत विधानसभा चुनाव में शोहरतगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी अनिल सिंह को नामांकन के अंतिम दिन टिकट मिला था, लेकिन वह बेहतर और मजबूत प्रत्याशी होते हुए भी 5-7 हजार वोटों में मिट गये थे, इसलिए कि जनता ने देरी की बजह से किसी न किसी किसी के पक्ष में फैसला कर लिया था। इसलिए लोक सभा चुनाव में भी यही कहानी दुहरा दी जाये तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।