इटवा से अरशद खुर्शीद को कांग्रेस से टिकट, पूर्व् सांसद हाजी मुकीम को बड़ा झटका
शोहरतगढ़ से पप्पू चौधरी और बांसी से किरन शुक्ला मैदान में, डुमरियागंज से कांती पांडेय के टिकट की पहले हो चुकी है घोषणा
गत चुनाव में मुकीम के सियासी फैसले के कारण उनसे नाराज था मुस्लिम समाज, मानता था अरशद की हार का जिम्मदार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले के कांग्रेस के अंदरखाने में बड़ी उथल पुथल मची हुई है। हां कांग्रेस की सबसे मजबूत मानी जा रही विधानसभा सीट इटवा से कांग्रेस के कद्दावर नेता मुहम्मद मुकीम को नजर अंदाज कर पार्टी ने बसपा के पूर्व प्रत्याशी रहे अरशद खुर्शीद को कांग्रेस का टिकट थमा दिया है। आशद गत चुनाव में दूसरे नम्बर पर रहे थे। दूसरी तरफ पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम को राहुल गांधी का भरोसेमंद सिपाही माना जाता था। इसके अलावा कांग्रेस आलाकमान ने बांसी से कांग्रेस की नेता किरन शक्ला व शोहरतगढ़ से पूर्व विधायक रविन्द्र प्रताप उर्फ पप्पू चौधरी को प्रत्यशी बनाया है। वे यहां से चार बार विधायक रह चुके हैं।
अरशद खुर्शीद और मुकीम का फंडा
प्रदेश की वीआईपी सीट मानी जाने वाली इटवा सीट से अरशद खुर्शीद को इटवा से टिकट मिलने में वहां मुहम्मद मुकीम के समर्थक सन्न है। उन्हें सपने में भी यकीन नहीं था कि कांग्रेस उनको या उनके परिवार से इतर किसी को टिकट दे सकती है, परन्तु पार्टी ने बसपा से आए नेता अरशद खुशीद को बुला कर टिकट दिया। कांग्रेस के इस कदम से साफ है कि उसकी नजर में मुहम्मद मुकीम की पुरानी हैसित नहीं रह गई है। लेकिन इटवा में कांग्रेस के एक वर्ग का कहना है कि कांग्रेस ने सटीक निर्णय लिया है। क्योंकि गत चुनाव में मुहम्मद मुकीम के अचानक अपने पुराने राजनैतिक शत्रु से हाथ मिला लेने के कारण बसपा के अरशद खुर्शीद की हार हुई थी, जिस कारण वहां के मुस्लिम मतदाता उनसे अभी तक नाराज हैं। ऐसे में यदि उन्हें या उनके परिवार को टिकट मिल भी जाता तो उनकी जबरदस्त पराजय सुनिश्चित थी।
मुस्लिम लीडरशिप को दबाना सबसे बड़ी भूल
आपको बता दें कि गत चुनाव में सपा का कांग्रेस से गठबंधन के कारण इस सीट पर सपा के माता प्रसाद पांडेय चुनाव लड़ रहे थे। माता प्रसाद और मुकीम में छत्तीस का आंकड़ा था, परन्तु चुनाव में अरशद जीत कर नये मुस्लिम नेता के रूप में न उभर जाएं, उस डर से मुकीम ने पुरानी राजनैतिक शत्रुता भूल कर माता प्रसाद पांडेय के लिए जी तोड़ मदद की थी, जिससे मुस्लिम मतदाताओं में बड़ा रोष था। उनका मानना था कि सपा शासन काल में माता प्रसाद पांडेय ने मुकीम समर्थक तामाम मुसलमानों पर मुकदमें कराये इसके बावजूद भी मुकीम ने समझाैते की ओट लेकर माता प्रसाद का समर्थन किया। कई मुस्लिम लोगों ने कहा कि माता प्रसाद और मुकीम के हाथ मिला लेने के बावजूद सपा यहां तीसरे नम्बर पर रही और बसपा के अरशद खुरशीद कुछ वोटों से चुनाव हार गये। इसकी उस समय मुस्लिम मतदाताओं में बड़ी तीखी प्रतिक्रिया हुई थी और सभी इसके लिए पूर्व सांसद मुहम्मद मुकीम को कोस रहे थे। और इसे क्षेत्र में मुस्लिम लीडरशिप को न उभरने देने की कोशिश रूपी मुहम्द मुकीम की बड़ी भूल मान रहे थे।
पप्पू चौधरी व किरन शुक्ला
शोहरतगढ़ से चार बार विधायक रहे पप्पू चौधरी ने इस बार भी कांग्रेस के प्रत्याशी होगे। इस कुर्मी बाहुल्य सीट से उनका लड़ना लाभप्रद होगा। उन्होंने इस क्षेत्र से चार बार विधायक का चुनाव जीता है। गत चुनाव में वे तीेन नम्बर पर रहे थे। लेकिन दस परिणाम से उनके जनाधार का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। सच यही है कि वह आज भी इस सीट के लिए कांग्रेस के सबसे तगड़े उम्मीदवार है जो किसी भी चुनाव परिणाम को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए सक्षम हैं। जबकि विगत सात सालों से कांग्रेस की राजनीति कर रही किरन शुक्ला को पहली बार पार्टी ने टिकट दिया है। उनकी छवि एक तेज तर्रार नेत्री के रूप में क्षेत्र में है, लेकिन इस चुनाव में वह क्या कर सकती हैं इसकी समीक्षा चुनाव परिणाम के बाद ही हो सकेगी।