इटवा में माता प्रसाद ने कांग्रेस राजनीति की दिशा उलट दी, इस बार चौकोनी लड़ाई के आसार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश की वीआईपी सीटों मे शुमार की जाने वाली इटवा विधानसभा सीट पर परिसीमन के बाद हुए कुल 11 चुनावों में 6 बार माता प्रसाद को जीत मिली है और बाकी के 5 चुनावों में विपक्षी दलों के अलग अलग नेता जीतते रहे हैं।
परिसिमन के बाद 1974 के पहले चुनाव में इटवा से कांग्रेस के गोपीनाथ कामेश्वरपुरी को जीत मिली थी। उन्हें मदरहवा बाबा के नाम से भी जाना जाता था। 77 के चुनाव में उनकी पराजय के बाद से इस सीट को समाजवादियों का गढ़ कहा जाने लगा। 1977 में आपातकाल विरोधी वातावरण में जनता पार्टी का गठन हुआ। कांग्रेस ने अपने विधायक कामेश्वर पुरी को मैदान में उतारा तो जनता पार्टी कि ओर से विश्वनाथ पांडेय को टिकट मिला और उन्होंने कामेश्वर पुरी को पराजित किया और विपक्ष के पहले विधायक बने।
माता प्रसाद पांडेय की आगमन
1980 के चुनाव में जनता पार्टी की विभाजान हुआ तो भाजपा ने विधायक विश्वनाथ पाडंये को उम्मीदवा बनाया जबकि जनता पार्टी एस ने युवा नेता माता प्रसाद पांडेय को टिकट दिया। कांग्रेस ने नर्वदेश्वर शुक्ला पर दांव लगाया। माता प्रसाद ने दोनों को पराजित करते हुए चुनाव जीत लिया। वह 1985 में भी जीते। दस बार जीत का अतर बढ़ गया था।
पांडेय की पहली हैटट्रिक
लगातार दो बार विधायक बन चुके माता प्रसाद को 1989 में पहली बार बराबर की टक्कर कांग्रेस के युवा नेता मो मुकीम कोछटकट दिया। बराबर की टक्कर में माता प्रसाद को 55159 और मो मुकीम को 52167 वोट में। इस तरह तीन हजार वोटोंसे जीत कर माता प्रसाद तीसरी बार विधायक बने। इस प्रकार उन्होंने जीत की पहली हैटट्रिक बनाई।
मुकीम जीते
1991 की राम लहर में मुकीम ने सभी समीकरण ध्वस्त कर दिये। वह माता प्रसाद के मुकाबले कांग्रेस के उम्मीदवार थे। दूसरी तरफ भाजपा ने विश्वनाथ पांडेय की जगह स्वयंवर चौधरी पर दांव लगाया। स्वयंवर चौधरी अच्छा प्रदर्यान करते हुए 38590 वोट बटोरे तो मुकीम ने 40765 वोट पाकर उन्हें पराजित कर दिया। सपा के माता प्रसाद को केवल १२ हजार मत मिल सके।
भाजपा की पहली जीत
1993 के चुनाव में विधानसभा क्षेत्र के गठन के बाद पहली बार भाजपा के स्वयंबर चौधरी ने जीत हासिल की। उन्होंने 52460 मत बटोर कर माता प्रसाद व मो मुकीम को हराया। तो 1996 के चुनाव में ने 43106 वाट पाकर अपनी दूसरी जीत हासिल की।
वापसी माता प्रसाद की
2002 के चुनाव में माता प्रसाद के दिन बहुरे। 11 साल के लम्बे बनवास के बाद उन्होंने 47448 वोट पाकर मुकीम का दस हजार वोटों से हराया।इस चुनाव के बाद उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष का पद मिला। इसके अलावा 2007 व 2012 के चुनावों को जीत कर जीत की हैट्रिक बनाई। उन्होंने कुल 6 चुनाव जीता। देखना है कि 2017 के चुनाव में उनके प्रतिद्धंदी क्या रणनीति बनाते हैं।