बाजार में बिक रहे धान के नकली बीज, असली को नेपाल भेजने मे लगे तस्कर
ओजैर खान
बढ़नी, सिद्धार्थनगर। वर्तमान में लाकडाउन के चलते कारोबार प्रभावित है, लेकिन मुनाफाखेरों और तस्करों पर इसका कोई असर नहीं है। एक तरफ वे धन के नकली बीज बेच कर भारी मुनाफा कमा रहे हैं तो दूसरी तरफ असली बीजों को नेपाल भेज कर मालामाल हो रहे हैं।
बताया जाता है कि कृषि विभाग की लापरवाही के कारण सीमावर्ती कस्बा बढ़नी में दर्जनों की संख्या में धान बीज की दुकानें बिना लाइसेंस के संचालित की जा रही है। जिनके द्वारा हाइब्रिड धान बीज, रासायनिक व कीटनाशकों को दो से तीन गुने दाम में बेचा जा रहा है। कुछ दुकानदार तो ऐसे हैं कि जिनके पास नामी गिरामी धान के बीज के कंपनियों के नाम पर लोकल पैकिंग की हुई बीज और लोकल क़ृषि रक्षक दवाएं उपलब्ध हैं, जो किसानों को लूटने व बर्बद करने का जरिया बने हुए हैं।
बताते हैं कि बीज, रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं की आपूर्ति व बिक्री के लिए कृषि विभाग दुकानदारों को लाइसेंस जारी करता है। इसके बाद ही दुकानदार इसकी वैध तरीके से बिक्री कर सकते हैं, किन्तु बढ़नी कस्बे में अवैध रूप से कई डीलर व दुकानदार धान बीज, कीटनाशकों की खुलेआम बिक्री कर रहे हबताया जाता है कि अफसरों की सह पर भारी मात्रा में दुकानों पर धान का बीज पहुंच गया है। धान बीज की पैकेट पर लिखे अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक दामों पर इसे बेचा जा रहा है।
प्रशासनिक लापरवाही के बदौलत उप नगर बढ़नी में भारी पैमाने पर धान के बीजों की दुकानें खोल करके लोग बैठे हुए हैं बताया जाता है कि कुछ लोगों ने तो क़ृषि विभाग से लाइसेंस बनवा लिया है कुछ लोग कृषि विभाग के बाबू से मिल कर के बिना लाइसेंस के ही दुकानें चला रहे हैं
उल्लेखनीय है कि उप नगर एवं आसपास के क्षेत्रों से नेपाल को धान के बीजों की हो रही तस्करी के संबंध में समाचार भी प्रकाशित हो चुका है और बीते 2 माह से अंतरराष्ट्रीय सीमा सील करते हुए लॉकडाउन की घोषणा की हुई है। ऐसे में बढ़नी क्षेत्र के कल्लन डिहवा, घरुआर, आदि जगहों से रात में धान के बीज की तस्करी नेपाल को जा रही हैं, लेकिन इसे देख कर भी सीमा की रखवाली में लगी जिम्मेदार जेंसियां खमोश बनी हुई हैं।