धनुष यज्ञ व रामलीला कार्यक्रम में सीता-राम विवाह संपन्न, शनिवार को विशाल भंडारे का आयोजन
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। श्री सिंघेश्वरी देवी मंदिर परिसर में हफ्ते भर से चल रहे धनुष यज्ञ व रामलीला कार्यक्रम में आखिरी दिन शिव धनुष तोड़ने के उपरांत भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ। कार्यक्रम में भक्तों की अपार भीड़ दिखी। सप्ताह भर से चल रहे इस कार्यक्रम में समाजसेवी अरुण तिवारी का सराहनीय योगदान रहा।
धनुष यज्ञ एवं रामलीला कार्यक्रम में आज सर्वप्रथम 10000 राजा मिलकर धनुष तोड़ने का प्रयास करते हैं लेकिन तोड़ने की बात तो दूर भगवान शिव के धनुष को हिला तक नहीं पाते हैं। महाराज जनक को बड़ी निराशा होती है। महाराज जनक कहते हैं कि मुझे यह लगता है कि अब पृथ्वी वीरों से खाली हो गयी है। राजा जनक ने कहा कि हे दूर देशों से आए हुए सभी राजा बंधु आप लोग अपने अपने निज निवास को प्रस्थान करें मुझे तो लगता है कि सीता का विवाह ही विधाता ने नहीं लिखा है।
यह सुनकर लक्ष्मण जी को क्रोध आता है और वे सिंहासन से उठते हैं और जनक जी को अति क्रोध में बोलते हुए कहते हैं कि हे जनक जिस समाज में रघुवंश का एक भी व्यक्ति मौजूद हो उस समाज में ऐसी बातें नहीं किया करते। आपने कह दिया पृथ्वी वीरों से खाली है अभी मैं गुरुदेव की आज्ञा पाऊं तो आप इस घिसे पिटे धनुष की बात करते है गुरुदेव कह दे तो मैं ब्रह्माण्ड को उठाऊं और कच्चे घड़े के समान तोड़ फोड़ डालू।
फिर भगवान श्रीराम गुरुदेव की आज्ञा पर धनुष तोड़ने के लिए खड़े होते हैं।
सर्वप्रथम गुरुदेव को प्रणाम करते हैं और फिर अपने माता-पिता को प्रणाम करते हैं। मानो श्री राम जी यह बताना चाहते हैं कि हमें भी कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गुरुदेव और माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए। भगवान श्रीराम ने धनुष को उठाया चाप चढ़ाया और धनुष का चाप चढ़ते ही धनुष अपने आप टूट गया। राजा लोगों ने सोचा देखूंगा धनुष कैसे टूटता है। पर रामजी ने धनुष को छुआ ही तो धनुष टूट गया। राजाओं को देखने तक का अवसर प्राप्त नहीं हुआ। धनुष तोड़ने के बाद माता जानकी आकर श्री राम को वरमाला पहनाती हैं।
वरमाला पहनाने के बाद भक्तों द्वारा जोरदार तालियां बजाई जाती हैं बड़ा सुंदर स्वागत किया जाता है उसके उपरांत परशुराम लक्ष्मण संवाद होता है श्रीराम ने परशुराम जी को समझाने का प्रयत्न किया समझाने के बाद भी परशुराम जी ने विश्वास नहीं किया लेकिन जब परशुराम जी के हाथ से फर्सा अपने आप चल गया तो परशुराम जी महाराज को यह विश्वास हुआ कि यह साक्षात ब्रह्मा स्वयं अवतार लेकर आए हुए हैं।
इस अवसर पर तमाम संभ्रांत भक्त लोग मौजूद रहे।महंत गिरीश दास जी ने कहा कि ऐसे विशाल कार्यक्रम हर वर्ष होते रहेंगे जिससे समाज को एक दिशा मिल सके। कार्यक्रम के दौरान जमील सिद्दीकी के प्रतिनिधि, आचार्य दिव्याशु जी, मिथलेष पाण्डेय, अखिलेश तिवारी, एस पी मिश्रा, आचार्य सुधीर पाण्डेय, शारदा, ग्राम प्रधान थरौली प्रतिनिधि राजाराम आदि विशाल संख्या में भक्तों की भीड रही।
कार्यक्रम के मुख्य संचालक अरुण तिवारी ने बताया कि दिनांक 26/12/2020 दिन शनिवार को दोपहर 1 बजे से मन्दिर परिसर में विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया है सभी क्षेत्रवासी प्रसाद ग्रहण करने अवश्य आये।