जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा बनाम बागी भाजपा के बीच लिखी जायेगी संघर्ष की इबारत?

May 27, 2021 1:36 PM0 commentsViews: 3751
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वक्त लिखेगा बागी उम्मीदवार के इतिहास का अध्याय, दावेदारी

के दौरान पृष्ठिभूमि तय होना शुरू अंत अगले दौर में

नजीर मलिक

सुजाता सिंह और शीतल सिंहः दो क्षत्राणियों में वर्चस्व की जंग

सिद्धार्थनगर। इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अनोखें ढंग से होने के आसार बनने शुरू हो गये हैं। कपिलवस्तु पोस्ट का आज भी मानना है कि इस बार अध्यक्ष भाजपा खेमे से चुना जाना तय है। सपा की तरफ से अध्यक्ष पद के लिए के लिए औपाचारिक नामांकन होगा। बस ताजा राजनीति में अंतर केवल इतना ही आया है कि भाजपा की आंतरिक गोलबंदी में दो खेमा सक्रिय है। इनकी सक्रियता के मदेनजर आपस में ही संघर्ष के आसार बन रहे हैं।
भाजपा के चार दावेदारों के बीच है उम्मीदवारी की दौड़

खबर है कि भाजपा के प्रदेश नेतृत्व में अभी इस बात को लेकर उहापोह है कि इस सीट पर ब्राह्मण व राजपूत समाज में से किसको लड़ाना उचित होगा। सिद्धार्थगर की राजनीति में मौजूदा दौर में राजपूतों का वर्चस्व है, परन्तु ब्राहमण राजनीति भी बहुत कमजोर नहीं है। इस समय इस पद के लिए जिले में चार लोग भाजपा उम्मीदवारी के लिए प्रयासरत हैं। ब्राहमण खेमे से भाजपा के पूर्व विधायक और फायर ब्रांड नेता जिप्पी तिवारी अपनी भाभी क्षमा तिवारी के लिए टिकट चाहते हैं, तो बांसी के पुराने जनसंघ- भाजपा समर्थक घराने के जयंती मिश्र अपनी बहू के लिए टिकिट चाहते हैं। दूसरी ओर राजपूत खेमे से पूर्व सांसद रामपाल सिंह की बहू सुजाता सिंह के अलावा भाजपा के वरिष्ठ नेता हरिशंकर सिंह अपनी पत्नी शांति सिंह के लिए टिकट चाहते हैं। इसके अलावा भाजपा के एक अन्य समर्थक और आर्थिक रूप से शक्तिशाली उपेन्द्र सिंह अपनी पत्नी शीतल सिंह के लिए प्रयासरत हैं।

सांसद व मंत्री के बीच उम्मीदारों को लेकर मतभेद की खबरें

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कथन है कि प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री और बांसी के विधायक जय प्रताप सिंह जयंती बाबू के करीबी हैं तथा सुजाता सिंह के परिवार के काफी निकट हैं। वे सुजाता सिंह के पक्ष में झुके दिखते हैं। जबकि सांसद जगदम्बिका पाल शीतल सिंह के पक्ष में बताये जा रहे हैं। यहां यह भी गौर तलब है कि जगदम्बिका पाल और जय प्रताप सिंह के बीच में 36 का आंकड़ा है। इसलिए दोनों एक दूसरे के खेमे की जीत कभी नहीं चाहेंगे। जानकार बताते हैं कि भाजपा हाई कमान को यह मैसेज पहुंचा दिया गया है कि यदि ब्राह्मण प्रत्याशी देना हो तो क्षमा तिवारी और राजपूत को देना हो सुजाता सिंह सर्वोत्तम व जिताऊ उम्मीदवार होंगी। बताते है कि हाई कमान इस बिंदु पर विचार भी कर रहा है।
असली राजनीति ऐसे भी मुमकिन

अब आती है असली राजनीति। बताते है कि स्वास्थ्यमंत्री जयप्रताप सिंह का उपेन्द्र सिंह की पत्नी शीतल सिह पर राजी न होना ही उनके मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है। टिकट न मिलने पर बागी होने की सर्वाधिक आशंका उन्हीं को लेकर है। क्योकि वह न तो प्रतिबद्ध भाजपाई हैं और न ही पार्टी की स्थानीय इकाई में उनके प्रति समर्थन है। दूसरी तरफ सूत्रों का यह भी कहना है कि कि गत चुनावों में इटवा क्षेत्र से हरिशंकर सिंह का टिकट कटने के बाद उनके लिए यही पद आशा की किरण है। टिकट न मिलने पर उनके भी द्वारा बगावत कर देने की आशंका बनी हुई है। सू़त्र बताते है कि अंतिम समय में उनका उपेन्द्र सिंह से गठजोड़ भी सम्भव है
सुजात सिंह क्षमा तिवारी में रस्साकशी, बगावत संभव

भाजपा के अंदरूनी जानकारों का कहना है कि जातीय गणित और राजनीतिक साख को लेकर यदि जांच पड़ताल की जाये तो सुजाता सिंह और क्षमा तिवारी का चयन ही बेहतर है। रामपाल सिंह परिवार की राजनैतिक प्रतिष्ठा व सामाजिक हैसियत निर्विवाद और निष्कलंकित है। इसके अलावा सुजाता सिंह के पास चुनाव के लिए जरूरी आर्थिक संसाधनों की भी कमी नहीं है। इसी प्रकार ब्राह्मण समाज में जिप्पी तिवारी की भी अपनी पकड़ है। सूत्र कहते है कि यही भाजपा में सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। अब हाई कमान जो भी फैसला ले यह उन पर निर्भर है। लेकिन गलत फैसले के बाद जो मुकाबला बनेगा वह भाजपा प्रत्याशी बनाम भाजपाई बागी के बीच हो सकता है।

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