काश! घर का शटर खुला होता तो नहीं होते मां बेटे तड़प-तड़प कर मरने को मजबूर
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ में गैस सिलेंडर फटने के समय दुकान के दूसरी ओर का शटर खुला होता तो प्रियंका और उसके अबोध बेटे की जान बच सकती थी। लेकिन छोटी सी चूक के चलते 26 साल की प्रियंका और उसके तीन साल के बेटे को नियति के क्रूर हाथों शिकार होना पड़ा। गुरुवार को पास की बानगंगा नदी की शाखा डोइया पर मां–बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया् गया। हादसे के 24 घंटे बाद भी डोहरिया में मातम सा महौल है।
शोरतगढ़ तहसील मुख्यालय से सटे डोहरिया चौराहे पर नीतेश की चाय पान की दूकान पर बुधवार शाम पांच बजे सिलेंडर में रिसाव से आग लगी परिवार के पांचों लोग बदहवास हो गये। नीतेश की की 26 वर्षीय वर्षीय पत्नी पियंका अपने तीन साल के बेटे अंकुश और पाच साल के विराट को लेकर इधर-भागने लगी। इधर उसके पति नीतेश और ससुर राम मिलन भी दुकान से मकान में तेजी से घुसे। छोटे से घर में दुकान व मकान दोनों थे।
जब तक दोनों अंदर पहुंचे आग विकराल रूप ले चुकी थी।मकान से बाहर निकलने के लिए एक रास्ता और था जिसमें शटर लगा था और वह बंद था। प्रियंका अपने दोनों बेटों को लेकर भा रही थी। इस दौरान उसके पति और ससुर भी आ्रग की लपटों के बीच पहुंचे और किसी तरह बड़े बेटे विराट को बाहर लाये। तब तक छोटे बेटे अंकुश को लेकर बाहर निकलने के लिए भाग रही प्रियंका आग की लपटों में धिर चुकी थी। पति और सुसर ने उसे बचाने की अनथक कोशिश की लेकिन दोनों मां बेटे अग्नि देव की गोद में समा गये। दोनों को बचाने के प्रयास में पति और ससुर भी काफी झुलस गये।
फिलहाल डोहरिया चौराहे का माहौल काफी मर्माहत है। इस दर्दनाक हादसे से लोग व्याकुल हैं। प्रियंका के मायके वाले व्याकुल होकर अभी भी रुदन कर रहे हैं। वहीं लोग बाग का कहना है कि काश शटर खुला होता तो दोनों आराम से बच सकते थे। मगर नियति के आगे किसका वश चलता है।