कोरोना से निजात की दुआ के साथ जिले भर में मायूसियों के साये में मनी ईद
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ समेत पूरे जिले में मायूसियों के साये में ईद का पर्व मनाया गया। न लोगों ने नये कपड़े पहने न ही गले मिलने की हिम्मत पड़ी। नमाज के बद लोगों ने खुदापाक से कोराना से निजात की दुआएं मांगी।मासूम बच्चे तक भी ईद के अवसर पर तमाम तरह की मिलने वाली खुशियों से महरूम रहे।
रविवार शाम ईद का चाँद देखकर लोगों ने एक दूसरे को मुबारकबाद दी और ईद के नमाज की तैयारियां शुरू हो गईं। कोरोना लॉक डाउन के कारण उसका असर मुस्लिम समुदाय में दिखा। लोगों ने नए कपड़े नहीं पहने थे किसी परिवार का एक आध बच्चा ही नए लिबास में नजर आ रहा था। मुसलमानों के अंदर खुशी का कोई ज़ज़्बा नजर नहीं आ रहा था। कोविड 19 के कारण लोग गले भी नहीं मिले जैसा कि आमतौर पर गले मिलकर दुवा दी जाती है। ईद में लोग एक दूसरे के परिवार में जाते हैं सिवइयाँ खाते हैं इसका भी साफ तौर पर असर दिखा।
बहरहाल ईद तो ईद है, खुशी का दिन माना जाता है, लेकिन इस बार की ईद के किस्से लोग अपने आने वाली पीढ़ियों को जरूर सुनाएंगे। मुस्लिम समुदाय का मन बुझा बुझा सा रहा लोगों ने ईद की नमाज की परम्परा तो निभाई, लेकिन खुश कोई नहीं था। लोगों ने अपने घरों पर हल्की फुल्की ईद की तैयारियां की घर पर ही नमाज अदा की और घर के अंदर ही ईद हो गई। शहरवासी अपने घरों पर किसी दोस्त सम्बंधी आदि के आने की राह देखते ही रहे।
सोशल डिस्टेन्स का शानदार नमूना इस ईद की नमाज को कहा जा सकता है। निर्धारित चुनिंदा लोगों ने मस्जिदों में ईद की नमाज पढ़ी, माइक पर नमाज के तरीके आवाज के सहारे आम लोगों के घरों में नमाज अदा की गई। जहां तक आवाज पहुँची वहां के लोगों को नमाज अदा करने में मदद मिली। सबसे बड़ी बात इस लॉक डाउन की ईद को बेहतर और खुशगवार बनाने के लिए कस्बे के कुछ जिंदादिल लोगों ने गरीब अवाम की मदद की। फिर भी यह मदद लम्बे लॉक डाउन के कारण नाकाफी रही। हालांकि इससे गरीबों को फौरी तौर पर पर्व के दिन राहत मिल गई।
इस अवसर पर एज़ाज़ अंसारी, रहमानी फाउंडेशन दारा भाई ने लोगों को ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद दी। दूसरी तरफ जामा मस्जिद शोहरतगढ़ के इमाम जनाब अब्दुल्लाह आरिफ सिद्दीकी ने ईद की नमाज साढ़े आठ बजे पढ़ाई। दुआ में कोरोना वायरस से निजात के लिये अल्लाह से इल्तिजा की गई।