चुनावी यादेंः जब मुकीम ने पहले चुनाव में माता प्रसाद पांडेय के छक्के छुडाये
—पहले चुनाव में कडी टक्कर के बाद 3 हजार से कम वोटों से हारे मो. मुकीम
—1991 के दूसरे चुनाव में दिग्गज माता प्रसाद को 28 हजार वोटों से दी शिकस्त
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। विधानसभा क्षेत्र इटवा का 1989 का चुनाव इतिहास में दर्ज हो गया है। इटवा के मौजूदा वरिष्ठ नेता मो. मुकीम ने अपने पहले चुनाव में समाजवादी धुरंधर माता प्रसाद पांडेय का जिस प्रकार छक्का छुडाया, वह जिले के इतिहास में हमेशा याद रखा जायेगा। हलांकि इस चुनाव में मो. मुकीम हार गये, मगर उनकी हार भी जीत में आंकी गयी।
इटवा विधान सभा क्षेत्र में आजादी के बाद से कांग्रेस का बोल बाला था। 1977 में पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर भाजपा खेमे के विश्वनाथ पांडेय जीते। इसके बाद 80 में लोक दल के नेता माता प्रसाद पांडेय ने जीत हासिल की। 85 के चुनाव में भी उनकी जीत बरकरार रही।
मुकीम का उदय
मुस्लिम बहुल्य इटवा क्षेत्र में मुस्लिम लीडरशिप का न होना वहां के मुसलमानों को खल रहा था। कई लोगों की कोशिशों के बाद वहां मुस्लिम लीडर के रूप में बम्बई के एक कारोबारी, जो इटवा के थे, के परिवार के नौजवान मो. मुकीम को 1988 में राजनीति में उतार दिया गया। वह कांग्रेस पार्टी की ओर से खुनियांव ब्लाक प्रमुख का चुनाव लडें।
1989 में मुहम्मद मुकीम का विधानसभा चुनाव में आमना सामना हुआ। जनता दल की लहर थी। कांग्रेस का पतन तय था, लेकिन इटवा में मुकीम हवा के रुख के खिलाफ आगे बढते जा रहे थे। परिणाम आया ता लोग चौंक पडे। 55159 वोट पाकर माता प्रसाद पांडेय की जीत हुई और 52167 मत पाकर मुकीम हार गये।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि इस जबरदस्त संघर्ष मे पूर्व विधायक और भाजपा उम्मीदवार को केवल 2335 मत ही मिले। अगर भाजपा के मतों का माता प्रसाद पांडेय के पक्ष में ध्रुवीकरण नहीं होता, तो परिणाम क्या होता, इसे समझा जा सकता है।
बहरहाल दो साल बाद 1991 में हुए पुनः चुनाव में मुकीम ने 40790 मत पाकर कर माता प्रसाद पांडेय को भारी मतों से हराया, उन्हें कुल 12947 मत ही मिल सके। इसके बाद मुहम्मद मुकीम का शुमार सियासी दिग्गजों में होने लगा।