तीन साल में एड्स से पांच सौ मौतें, हजारों मौत के कगार पर और विभाग के पास बजट ही नहीं

December 1, 2015 4:06 PM0 commentsViews: 209
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संजीव श्रीवास्तव

जिले के एक एडस जागरूकता कार्यक्रम में चिकित्सक से सलाह लेती महिलाएं

जिले के एक एडस जागरूकता कार्यक्रम में चिकित्सक से सलाह लेती महिलाएं

सिद्धार्थनगरः जिले में एडस ने खतरनाक  रूप ले  लिया है। तीन सालों में तकरीबन पांच सौ लोग मारे जा चुके हैं और 2 हजार मौत के कगार पर है। जहां तक शासन का सवाल है उसके पास एडस के खिलाफ अभियान के लिए धन ही नहीं है। लिहाजा इस खतरे के और बढने की आशंका है।

जिला अस्पताल में स्थापित एआरटी सेंटर के मुताबिक पिछले तीन वर्ष के दौरान सिद्धार्थनगर में एडस से 272 लोगों की मौत हो चुकी है। 2641 पीड़ितों में 1200 मरीजों की दवा हो रही है। शेष मरीज आज भी जीवन और मौत के बीच संघर्ष को विवश हैं।

यह आंकडे सिर्फ अस्पतालों के हैं। तमाम रोगी अस्पताल जाते ही नहीं। इसलिए यह संख्या कागजों पर कम दिखती है। इस एडस के खिलाफ जागरूकता चलाने के लिए यहां विभाग के पास बजट ही नहीं है। एडस के नाम पर लंबे लंबे अनुदान पाने वाले एनजीओ भी इस तरफ से आंखें मूंदे हुए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के हवाले से मिली सूचना के मुताबिक वर्ष 2013 में 576, 2014 में 597 और चालू वर्ष में अभी तक 474 एडस रोगी सामने आ चुके हैं। जहां तक मौतों का सवाल है, तो वर्ष 2013 में 79, 2014 में यह आकड़ा 105 पर पहुंच गया। चालू साल में अभी तक 88 लोग काल के गाल में समा चुके हैं।

मौतों और मरीजों की सरकारी संख्या सच्चाई का खुलासा नही करते। वास्तविकता यह है कि सिद्धार्थनगर के अनेक गांवों में इस मर्ज की बढ़ती संख्या लाखों के माथे पर शिकन ला रही है। यहां यह भी बता दें कि सिद्धार्थनगर के लाखों नवयुवक रोजी-रोटी के जुगाड़ में देश के विभिन्न महानगरों में अपनी हडडी तोड़ रहे है। उनकी नादानी से ही यह बीमारी इस पवित्र भूमि को भी अपना शिकार बना रही है।

इस सिलसिले में एआरटी सेंटर के अधीक्षक डा. मोहसिन सिद्धीकी का कहना है कि विभाग से जितना हो रहा है, बीमारी के रोकथाम का प्रयास किया जा रहा है, मगर बजट की कमी आड़े आ रही है।

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