मासूम विष्णु की मौत, यदि श्यामदेव को पीएम आवास मिला होता तो शायद कुल का चिराग न बुझता

January 5, 2021 12:28 PM1 commentViews: 526
Share news

शिव श्रीवास्तव

महराजगंज़। देने वाले किसी को गरीबी न दे मौत देदे मगर बदनसीबी न दे, आज यही हुआ कि अगर श्यामदेव गरीब न रहा होता तो शायद उसके चार माह के बेटे विष्णु की मौत न हुई होती। मौत बहाना बनकर आती हैं।लोगों का कहना है कि अगर  श्यामदेव को पीएम आवास मिल गया होता तो शायद उसके कुल का दीपक नहीं बुझता।  आज रीना की गोद हमेशा हमेशा के लिए सूनी नही होती ।

बताया जाता हैं कि बृजमनगंज थाना क्षेत्र के सिकन्दरा जीतपुर निवासी श्यामदेव झोपड़ी में रह कर अपने आठ परिवार का भरण पोषण मेहनत मजदूरी कर चलाता था। रोजाना की भांति मजदूरी करने निकल गया था। पत्नी भी अपनी बटियों को खिला पिला कर सबसे छोटे बेटे विष्णु को देखने को कह कर खेत में काम करने के लिए चली गई थी।विष्णु बड़ी मनौतियों के बाद  चार बटियों के बाद पैदा हुआ था, इसलिए वह घर का लाडला बेटा था।

बीते दिन अचानक श्यामदेव की झोपड़ी से तेज धुआं उठने लगा। जब तक अगर बगल के लोग कुछ समझ पाते तब तक श्यामदेव की रियायशी झोपड़ी धू धू कर जलने लगी। काफी भागदौड़ के बाद आग पर काबू पाया गया। सूचना पाकर जब माँ रीना घर में पहुंची तब तक उसकी आँखों का तारा विष्णु, जो मात्र एक वर्ष का था, बुरी तरह से झुलस चुका था।

 लोगों के सहयोग  से  श्यामदेव अपने बेटे विष्णु  को लेकर सीएचसी धानी पहुंचा तो डॉक्टरो ने हालत गंभीर देखकर मेडिकल कालेज गोरखपुर के लिए रिफर कर दिया था । लोग उसविष्णु को लेकर गोरखपुर भागे परन्तु उस मासूम ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। श्यामदेव व रीना को पाँच बेटियों के बाद विष्णु के रूप में बेटा मिला था, लेकिन वह चंद माह बाद ही मां बाप को दनियां भर का दर्द देकर दुनियां से चला गया। रीना के चीख पुकार व चित्कार को जो जहाँ सुन रहा है वह वहीं व्यथित हो जा रहा है। इस समय पूरे सिकन्दरा जीतपुर की गलियों में कुहराम मचा हुआ है।

इस हृदय विदारक घटना की सूचना पाते ही विधायक फरेन्दा बजरंग बहादुर सिंह ने स्वयं सिकन्दराजीतपुर पहुंच कर बेटे के गम से चूर परिजनों को पन्द्रह हजार रुपये की मदद दी और ढाढंस बँधाया। इस दौरान  नगर पचायत फरेन्दा अध्यक्ष राजेश जयसवाल, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष विवेका पाण्डेय  ग्राम प्रधान योगेंद्र तिवारी छट्ठू सिंह व अर्जुन अग्रहरि सहित गांव की जनता मौजूद रही। लोग बाग यही चर्चा करते रहे कि सरकारी कारिंदों ने अगर उसे आवास का पात्र माना होता तो न आज उसकी झेपड़ी में आग लगती, न ही एक गरीब मां बाप की गोद सूनी हो पाती।

1 Comment

Leave a Reply