बड़ा दांव- गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से दारा बने बसपा के महावत
_ इस बार बसपा कड़ी टक्कर देने के मूड में
अजीत सिंह
गोरखपुर। हालांकि उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनावों में अभी लगभग सवा साल का समय है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनावों की अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इसी क्रम में उसने गोरखपुर ग्रमीण विधानसभा क्षे़त्र से बसपा नेता दारा निषाद को बसपा प्रत्याशी घोषित करते हुए अपने पत्ते खोल दिये हैं।बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस क्षेत्र से दारा को कड़ी टक्कर देने के उद्देश्य से ही हाथी का महावत बनाया है।
गोरखपुर की राजनीति समझने वाले समझ गये होंगे कि ग्रमीण क्षेत्र से दारा निषाद की उम्मीदवारी का मतलब मायावती का चुनाव में सारा जोर जातीय समीकरणों पर है। इन्हीं समीकरणों पर ध्यान देते हुए बसपा ने पूर्वांचल के दिग्गज नेता दारा निषाद पर दांव लगाया है। बता दे कि ग्रामीण विधानसभा में निषाद समाज के करीब 1 लाख वोटर हैं बसपा के कैडर के वोट भी इस विधनसभा में करीब 65 हजार हैं, जो इस गठजोड़ को मजबूत बना रहे हैं।
विगत 6 महीनों से ही दारा निषाद और उनके भाई राजकुमार निषाद पूरे ग्रामीण विधानसभा की खाक छान रहे है और कोरोना काल मे आमजन की लगातार मदद कर रहे हैं । देखा जाए तो निषाद मुस्लिम और दलित का यह समीकरण अन्य सभी दलों पर भारी पड़ सकता है। यह समीकरण अगर अंत तक बना रहा तो विपक्षी दलों पर भारी पड़ सकता है।
बता दें कि गत विधानसभा चुनाव में मुख्श्मंखी के गृहजनपद में भाजपा की प्रचंड लहर थी, जिसके कारण चिल्लूपार सीट को छोड़ का भाजपा हर जगह भारी मतों से जीती थी। चिल्लूपार से बसपा के विनय शंकर तिवारी जीते थे। जीती हुई सभी सीटों में केवल गोरखपुर ग्रामीण सीट ही ऐसी थी, जहां से भाजपा किसी तरह मात्र चार हजार वोटों से जीत पाई थी, वह भी तब, जबकि यादवों की काफी वोट सपा को न जाकर अपने सजातीय भाजपा प्रत्याशी को गया था। लेकिन इस बार ऐसा न होगा। यादव इस बार भाजपा के सजातीय प्रत्याशी को भी वोट देने के मूड में नहीं हैं। ऊपर से क्षेत्रीय विधायक की शिथिलता और सरकार की नीति के कारण उस लहर की उम्मीद बेमानी होगी, जो पिछले चुनाव में दिखी थी। इसलिए बसपा इस बार ग्रामीण सीट पर मजबूत होती जा रही है। खैर चुनाव में अभी लंबा वक्त है।