गोशाला घोटालाः गायें रहती नहीं तो उनके लिए आवंटित धन कहां चला जाता है, जांच की मांग
सुशील कुमार सिंह
लोटन, सिद्धार्थनगर। सदर तहसील अन्तगर्त गाम परसौना में बने सरकारी गोशाला की स्थिति बेहद दयनीय है। वहां रह रही साठ गायों का पता कि वह कहा रहती हैं और उनमें से कितनी जिंदा हैं, कितनी नहीं। ग्रामीणों को इसमें घोटाले की संभावना नजर आ रही है। उन्होंने उपजिलाधिकारी से पूरे प्रकरण की गहराई से जांच की मांग की है।
बताया जाता है कि सदर तहसील के विकास खंड लोटन के ग्राम परसौना में एक गोशाला स्थापित किया गया था। ग्रामीण बताते हैं कि वर्तमान में गोशाला में ६० गाये रखने का दावा किया जा रहा है। परन्तु वे कहां है और कब गोशाला में रहती हैं, यह कोई नहीं जानता। अनुमान किया जाता है कि गोशाला के रक्षक दिन में चरने के लिए उन्हें गोशाला ये बसहर निकाल देते हैं। इस प्रकार उनके लिए शासन द्धारा जारी चारे के लिए आये पैसे की बचत हो जाती है। वहां साठ गाये हैं भी या नहीं, ग्रामीण इसे नहीं बता पाते। क्योंकि दिन में वे बाडे में रहती ही नहीं है। रात में वे वहां रखी जाती है या नहीं? यह किसी को नहीं मालूम।
कई ग्रामीण कहते हैं कि आशंका है कि गोशाला के नाम पर उसके जिम्दार लोग सरकारी धन का घोटाला कर रहे हैं। जब गायें वहां रहती ही नहीं है तो चारे का भुगतान क्यों और किसे किया जा रहा है। यही नहीं गोशाला का निर्माण किसानों की फसलोंकिी सुरक्षा के लिए किया गया था। लेकिन यहां की बची खुची गायें दिन भर खुला ही घूमती है तो योजना का लाभ क्या है। ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी से मामले की जांच की मांग की है।