पंचायत चुनावः आरक्षण को लेकर प्रत्याशियों की उलझनें बढ़ीं

January 30, 2021 12:23 PM0 commentsViews: 1506
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अजीत सिंह

सिद्धार्थनगर।आरक्षण फार्मूले को लेकर प्रत्याशियों की उलझनें बढ़ गई हैं। आरक्षण नए सिरे से हो या चक्रानुक्रम, यह फैसला अब सरकार को लेना है। क्षेत्र और जिला पंचायतों में आरक्षण शून्य करने और ग्राम सभाओं में चक्रानुक्रम लागू किए जाने पर भी विचार हो रहा है। जानकारी के अनुसार आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने में एक सप्ताह का समय और लग सकता है। ऐसे में  नई आरक्षण सूची के लिए उम्मीदवारों को कुछ और इंतजार करना होगा।

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। अब गांव में ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों के लिए आने वाली आरक्षण सूची का इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद यह तय हो सकेगा कि कौनपं से वार्ड और ग्राम सभा में किस जाति के लिए चुनाव लड़ने को सीट अरक्षित की गई है। हालांकि अभी तक आरक्षण लिस्ट के बारे में कोई भी सूचना जारी नहीं हुई है।

आरक्षण को लेकर अभी तक बैठकें चल रही हैं। फरवरी में स्थिति साफ हो सकती है। पंचायतों में आरक्षण की उलझन वर्ष 2015 में ग्राम पंचायतों में आरक्षण शून्य करने से बढ़ी है। आरक्षण शून्य करने का अर्थ ग्राम पंचायतों में नए सिरे से आरक्षण लागू किया जाएगा। वर्ष 2000 में हुए आरक्षण का चक्र आगे नहीं बढ़ेगा। अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग की जनसंख्या के आधार पर ग्राम पंचायतों की सूची वर्णमाला क्रम में बनाकर जातीय व जेंडर आरक्षण को लागू किया गया था। इसके विपरीत क्षेत्र व जिला पंचायतों में चक्रानुक्रम लागू हुआ था।

 इस साल जिले की कई ग्राम सभाओं के नगरनिकाय में शामिल हो जाने के कारण 113 ग्रम पंचायतों और लगभग ३ दर्जन क्षेत्र एवं जिला पंचायतों के क्षेत्र के स्वारुप में परिवर्तन होने की भी संभावना है। बहरहाल आरक्षण  चाहे जब षित हो, मगर गांवों की सियासत में तो गर्मी आ ही गई है। तमाम लोग खेमेबंदी में अभी से व्यस्त दिखाई देने लगे हैं।

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